सफाई व्यवस्था का खस्ताहाल फिर भी नगर पालिका परिषद करे नजरअंदाज
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मुनि की रेती, पर्यटन नगरी मुनि की रेती में सफाई व्यवस्था का लचर बुरा हाल है जबकि नगर पालिका का भू भाग जिसमे गङ्गा तट , पार्किंग क्षेत्र , ऋषिलोक मार्ग, शीशम झाड़ी सहित चौदह बीघा मंडी स्थल सहित अनेक स्थानों पर सफाई व्यवस्था बुरी तरह चौपट है।लेकिन कागजो में सफाई व्यवस्था के नाम पर इस क्षेत्र को अब्बल स्थान प्राप्त है जबकि वास्तविकता कुछ और ही कहती है।
नगर क्षेत्र में नालियों की नियमित सफाई ना होने से नलियों में भारी मलवा जमा होने पर दुर्गन्ध ओर मच्छर पनप रहे है वही मलवा जमा होने से सड़कों पर वह बहने लगता है। ऋषिलोक रोड़ पर जँहा देश विदेश के पर्यटक यँहा निवास करते है वँहा सड़को की सफाई ना होने के कारण गन्दगी व्याप्त रहती है दूसरी ओर सड़को के दोनों किनारों में वाहनों की लंबी कतारें सड़क घेर कर पार्किंग स्थल बन गए है।यही नही सड़को में आवारा पशुओं का भारी समहू ऋषिलोक पर्यटक आवास गृह के पास मंडराते नजर आते है जो वँहा के बाग बगीचों को अक्सर नुकसान पहुँचाते है। लगता है इस सम्बंध में पालिका परिषद के सफाई निरीक्षक अनभिज्ञ है अथवा वो इसमें रुचि नही लेना चाहते है।
नगर पालिका परिषद के माध्यम से कभी कभार इस रोड की सुध लेने का कार्य करता है लेकिन हैरानी इस बात की है कि सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति कर सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित नाले में जो निगम प्रोपर्टी से जुड़ा है उसमें सफाई कर्मी रोड़ का कूड़ा झाड़ू से नाले में डालकर आवास गृह के लिए सिरदर्द पैदा करते है । हर बार निगम के सफाई कर्मी इस कूड़े का निस्तारण नाले के अंदर जाकर करते है।आज ऐसा ही वाकया नगर पालिका की ओर से किया गया जिसकी फोटो ग्राफी सबूत के तौर की गई है।
इस सम्बंध में निगम के वरिष्ठ प्रबन्धक भारत भूषण कुकरेती ने बताया कि परिषद को भरपूर राजस्व देने के बाबजूद भी सफाई व्यवस्था का ये हाल हैरानी वाला है।उन्होंने कहा कि अगर सड़क की सफाई की जानी है तो उसका निस्तारण किया जाना जरूरी है किन्तु इस कूड़े को निगम साईड में बने नाले में डालकर दूषित वातावरण पैदा कर पालिका परिषद पर्यटकों को क्या सन्देश देना चाहती है।श्री कुकरेती ने कहा कि पालिका परिषद ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत हमे नोटिस जारी किया जिसका तत्काल उसी वक्त जबाब दिया गया।उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में उप जिलाधिकारी नरेंद्रनगर की मौजूदगी में हुई बैठक में सफाई, आवारा पशुओं ओर सड़को में अवैध रूप से पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल वाहनों पर अंकुश लगाने के निर्देश खोखला साबित हुए है।