अशान्त इन्द्रियों को खत्म करो तभी शारीरिक विकृति का दमन होगा : आचार्य गणेश
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डाँडी, अशान्त इन्द्रियों को खत्म करो तभी शारीरिक विकृति का दमन होगा।सत्कर्म करना ही सच्ची भक्ति है।ईश्वर सदैव भाव का भूखा है उसको आपसे कुछ नही चाहिए वो तो सब कुछ देने वाला है। मुख पर हंसी ओर पैरों पर छाले, हे कृष्ण वही तो तेरे चाहने वाले होंगे।
आज कथा के पांचवे दिन आचार्य गणेश ने कहा कि दक्ष अंहकार का प्रतीक है।अंहकार का त्याग ही परमात्मा का मिलन है ज्ञान के साथ कर्म श्रेष्ठ होना चाहिए।जब ज्ञान कर्म आता है तो उसकी प्रथम पूजा होती है यही वजह है कि प्रथम पूज्य श्री गणेश है जो रिद्धि, सिध्दि के दाता ओर शुभ लाभ के पिता है।भगवान शंकर के परिवार का प्रत्येक सदस्य संसार मे पूज्य है ।सांख्य शास्त्र के बारे में वर्णन कर श्री कृष्ण की बाल लीला सहित निराकार ओर साकार का दर्शन कराया ।उन्होंने कहा कि श्री मद भागवत पुरातन है जो आज भी अपनी उपस्थिति से हर किसी के जीवन मे परोपकार का साक्षत स्वरूप है।उत्तराखण्ड देव भूमि में सभी देवी देवताओं का वास रहा है ।पांडवों ने भी अपने अंतिम जीवन को यही बिताकर शरीर त्याग किया है।आज भी पांडव नृत्य उत्तराखण्ड का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्वरूप की परिचायक है। जब जब धर्म की हानि होती है और असुर शक्ति जाग्रत होती है तब तब संसार मे प्रभु लीला कर उर पाप ओर ताप से तारणहार बनते है। समाचार लिखे जाने तक कथा का प्रसारण हो रहा था।
आज की कथा में यजमान परिवार के अभिनव शर्मा , शंशाक शर्मा, अदिति शर्मा, सन्तोषी देवी, पूरण शर्मा, गुरु प्रसाद सुयाल, रामकिशोर शर्मा सहित उनके सभी परिवारिक जनो ने ब्रह्मलीन नन्द किशोर शर्मा , डाक्टर माधुरी किशोर शर्मा की के निर्वाण दिवस पर कथा का आयोजन कर उन्हें चन्दन, वन्दन , पुष्पांजलि अर्पित कर यह दिव्य, भव्य और नव्य कृष्ण कथा आयोजन किया है।इस अवसर पर व्यास मण्डली के विद्वान पण्डित राजेश सिलस्वाल, पण्डित विक्रम जोशी आचार्य सतीश शर्मा सहित अन्य बड़े सुंदर ढंग से कर्मकांड कर इस आयोजन को सफलता प्रदान कर रहे है।इस अवसर पर ऋषिकेश के महंत बलवीर सिंह, पूर्व न्यायाधीश इंद्रजीत मल्होत्रा, मधु गुप्ता, वी पी शर्मा, राकेश कुकरेती, माहेश्वरी कुकरेती, गजेन्द्र डबराल, मुकेश कुकरेती सहित अनेक सैकड़ो भक्त कथा का पान कर रहे थे।