नारी बराबर की पात्र नही, बल्कि वो पुरूष से अधिक शक्तिस्वरूपा है……आचार्य गणेश
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डाँडी,सुनने वाला बोलने वाला और पूछने वाले को भागवत कथा का परम पुण्य प्राप्त होता है।राम कहे, राम कहावे दोनों का फल आयोजक पाये।भूत भावन शंकर सबसे बड़े व्यास है और परम श्रोता माँ जगत जननी पार्वती है।उन्होंने कहा वर्तमान में नारी को समाज मे बराबर का दर्जा दिये जाने की बात हो रही है किन्तु हमारे सनातन धर्म मे नारी को विशेष दर्जा देकर शक्तिस्वरूपा कहा गया है।इस देश मे केवल नवरात्रि में ही महिलाओं का सम्मान नही होता बल्कि वर्ष भर पुरातन काल से चल रहा है । उन्होंने कहा जँहा नारियों का सम्मान होगा वँहा देवताओं का भी वास होता है।
आज तीसरे दिन साँई धाम डाँडी में बद्रीविशाल के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सनत, सनातन आदि ऋषियों समेत नर , नारायण भगवान के महत्व को बतलाते हुये भागवत कथा में प्रवेश कराया गया ।उन्होंने कहा कि भागवत ज्ञान, विज्ञान, वैराग्य ओर समाधि का प्रसाद प्रदान करती है।आज के परिपेक्ष में मानव अगर दया, प्रेम करूणा को अंगीकार कर अपने दायित्व का पालन करे तो फिर कृष्ण प्राप्त अवश्य होने जँहा कंस रूपी राक्षस प्रवत्ति नही रह सकेगी है।देव भूमि में तो कण कण में देवताओं का वास है फिर भी हम उसे पाने के लिये स्वयं के अंदर नही बल्कि भटक रहे है।ईश्वर को पाने का सरल मार्ग अपने घट के अंदर निवासित शक्ति को पहचानिये।भगवान व्यास ओर आचार्य शुकदेव जी महाराज सहित देवर्षि नारद के बारे में कथा समाचार लिखे जाने सहित चर्चा जारी कर व्यास जी महाराज द्वारा रचित 18000 श्लोकों को व्यास पीठ पर विराजमान आचार्य गणेश शास्त्र सम्मत वर्णन कर रहे थे।
आज तीसरे दिन की कथा में आयोजन मण्डली के यजमान परिवार के अभिनव शर्मा , अदिति शर्मा, शंशाक शर्मा,रामकिशोर सुयाल, सन्तोषी देवी, अनिता शर्मा सहित शर्मा परिवार के सदस्यो सहित विद्धान पण्डित मण्डली के अलावा नगर के अशोक कपरूवान, बुध्दि शर्मा , निखिलेश ममगाई, गौरव ममंगाई आदि अनेको लोग भागवत अमृत कथा का रसपान कर इसमें डुबकी लगाते दिखाई दिए।