योगदा सत्संग सोसाइटी का एम्स ऋषिकेश में प्रेरक आध्यात्मिक सत्र
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क्रियायोग विज्ञान आनंद की कुंजी: ब्रह्मचारी सौम्यानंद
योगदा सत्संग सोसाइटी का एम्स रिज़वेज़ में प्रीव्यू आर्चुअल सत्र
योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) के संत ब्रह्मचारी सौम्यानंद की एम्स आश्रम में ध्यान-योग विषय पर आध्यात्मिक सभा का आयोजन किया गया। उपदेशक प्रवचन में ब्रह्मचारीजी ने कहा कि “खुशी बाहरी प्रतिबंध पर प्रतिबंध हो सकती है, लेकिन मनुष्य को आंतरिक आनंद बिना किसी शर्त के प्राप्त होता है, जिस खुशी को हम सभी दुनिया में ढूंढ रहे हैं, वह वास्तव में ईश्वर का अनंत आनंद है।” उसी आनंद को हमारी आत्मा तलाश रही है।”
पूर्व में अभ्यास-विज्ञान विशेषज्ञ रह चुके ब्रह्मचारी सौम्यानंद ने एम्स इंस्टीट्यूट के सहायकों और छात्रों को ‘क्रियायोग-विज्ञान-एक आनंदमय और सफल जीवन की कुंजी’ विषय पर प्रवचन दिया। उन्होंने आध्यात्मिक सभा में बताया कि “मन की आदर्श स्थिति समता की स्थिति है, जहाँ हम बाहरी अवसाद से प्रभावित हुए बिना रहते हैं।” ब्रह्मचारी के ध्यान के अनुसार ही हम वह स्थिति प्राप्त कर सकते हैं।
योग-विज्ञान पर आयोजित आध्यात्मिक सभा में उन्होंने कहा कि “यह हमें विज्ञान आत्मा के शरीर में ज्ञान ईश्वर के पास से पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया से साक्षात्कार कराता है।” बताया कि प्राण ही वह तत्व है जिससे शरीर जीवित रहता है अन्यथा वह मर जाता है। इन सभी गहन सिद्धांतों को हम योग-विज्ञान के अभ्यास से समझ सकते हैं और इसके लिए हमें जगद्गुरु परमहंस योगानंदजी की क्रियायोग शिक्षाओं का अभ्यास करना होगा।”
युवा दार्शनिक जिज्ञासुओं के योगानंदजी द्वारा रचित आध्यात्मिक गौरवग्रंथ “योगीमृत” का परिचय देते हुए ब्रह्मचारीजी ने कहा था कि “परमहंसजी स्वास्थ्य के सिद्धांत सिद्धांत के विषय में बात करते हैं – शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक। आध्यात्मिक आध्यात्मिक अपने स्वास्थ्य में सुधार के लिए हमें ध्यान देना होगा ।आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करके ही हम सभी शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि “परमहंस योगानंदजी ने अपनी क्रियायोग शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करने के लिए आध्यात्मिक संगठन आईएसएसएस द्वारा आत्म-साक्षात्कार पाठमाला की स्थापना की और हजारों आध्यात्मिक जिज्ञासुओं पर ध्यान देने का यह मार्ग रखा है। योगदा सत्संग पाठमाला योगानंदजी द्वारा हमें आदर्श-जीवन की शिक्षाएँ दी जाती हैं जो हमें अपने जीवन के संचालन के बारे में सिखाते हैं। इनमें शक्ति-संचार व्यायाम, एवं हंग सः और ओम की ध्यान-प्रविधियाँ प्रमुख रूप से शामिल हैं। इस पोर्टफोलियो की विस्तृत जानकारी yssi.org/Lessons से प्राप्त की जा सकती है।
इस अवसर पर एम्स के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने आध्यात्मिक सभा को सभी के लिए लाभदेई बताया।
दीन प्रो. बिक्रेता हांडू ने कहा कि इस सभा में जो जन कल्याण की बातें बताई गई हैं उनसे हम सभी को ईश्वरीय आशीर्वाद जैसी भावना प्राप्त हुई है। एम्स के नियोनेटोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोग्राम के सदस्य डॉ. सुमन सोसाहन ने बताया कि “वर्तमान में धूप और तनाव जीवन में मन को शांति बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।” भागदौड़ के इस युग में योग-साधना एक आवश्यक जीवन रक्षा कौशल है, जैसे कि ड्राइविंग, बैचलर आदि, युवाओं को प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण देना चाहिए, इसके लिए संयमित होने का इंतजार नहीं करना चाहिए।”
सभा के अंत में आध्यात्मिक जिज्ञासुओं ने ध्यान-सत्र में प्रतिभाग किया, जिसमें सही ध्यान मुद्रा का प्रदर्शन किया गया, जिसमें वैज्ञानिक ध्यान के अभ्यास से अभ्यास के परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक बताया गया। साथ ही कई जिज्ञासुओं ने ब्रह्मचारजी से साधना से जुड़े प्रश्न भी पूछे योग मर्मज्ञ ने समाधान किया।