नया सी ए ए कानून पर विपक्ष का कोहराम कँहा तक उचित?
1 min read . संजय बडोला
देश कानून चुनाव से पूर्व 2019 में पास समान नागरिक बिल कल लागू से जंहा भाजपा ने अपने दिए गए वादे को साहसिक कार्य किया है, देश में मुस्लिम समुदाय को ये समर्थक हथकंडा ओर मुस्लिम विरोधी लग रहे हैं। जब तक बंगाल की ममता सरकार और केरल सरकार ने इसके खिलाफ ना करने का प्रस्ताव लागू नहीं किया, तब तक देश की जनता ने इसके पास होने वाली खुशी का शोर नागाडो के साथ स्वागत किया है। देश मे कानून लागू वाली सुरक्षा पर मोगा से होने वाली सुरक्षा बंधक का मंगोलिया मार्च सुरक्षा के सभी तीर्थयात्रियों को छोड़ दिया गया है।
इस नागरिक समान कानून के लागू होने से भारत में पूर्व से रह रहे नागरिकों पर इसका कोई प्रभाव नहीं है, बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के बीच जीवन के लिए खतरा है, जो हिंदू, सिख, पारसी, यहूदी, ईसाई हैं। हो और भारत में 2014 से निवास कर रहे हैं। वो भारतीय नागरिकता के लिए सरकारी पोर्टल के माध्यम से आदि के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। सरकार ने उनके जीवन के खतरे को ख़त्म कर दिया है और उन्हें सुरक्षा की सुविधा प्रदान करना चाहती है। ये वो काम है जो कांग्रेस सरकार करती है। 7 दशक से कोई भी पैसा मोदी सरकार ने नहीं दिया। इस सुरक्षा में जीवन यापन करने वाले अल्पसंख्यकों को लाभ होगा क्योंकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मुस्लिम बाहुल्य देशों में जंहा पर कोई खतरा नहीं बल्कि वहा रह रहे हैं अल्पसंख्यक वर्ग पर खतरा बना हुआ है और एडाडो पर नजरें डाली गईं तो वहां रह रहे लोग ने सुरक्षा के साथ भारत में शरण ली है। इस बिल का उद्देश्य उन्हें सुरक्षा प्रदान करना है। ये बात लोगों को हजम नहीं हो रही है ये गहरी चिंता का विषय है या देश की सुरक्षा को अस्थिर करना है। प्रशंसित का प्रमुख व्यक्ति न्याय संगत नहीं है, बल्कि रोस्टर को संजीवनी देने वाला देशहित में है।
नामांकन केवल एक धर्म की परंपरा को बढ़ावा देने का काम करता है देश की जनता फिर से समझती है और यही कारण है कि 10 संप्रदायों से बार-बार विखंडन, आखिरी बार हार मिली है भी ये बाज नहीं आते हैं। देश में रह रही बालाओं को कोई खास खतरा नहीं है ना ही उनकी नागरिकता पर कोई नजर रखने वाली है ये पहचान। पर बड़ा प्रश्न चिन्ह उभरती हुई जनता के हक में है।विपक्ष में राजनीति नहीं हकीकत पर ध्यान देना जरूरी है। देश में जगह जगह इस कानून के आने से खुशी का अधिकार कर बंटी जा रही है।