मार्च फाईनल पेयजलापूर्ति के लिए बजट के नाम पर जनता से धोखा
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मुनि की रेती।अक्सर चर्चाओं में रहती मुनि की रेती इस बार फिर पेयजल आपूर्ति यानी जल संस्थान के मनमानी एवं गैर हरकतों के कारण विवादों में है।और ऐसा हो भी क्यों ना जनता का पैसा फिजूल खर्ची के लिए नही बल्कि इसका सद्पयोग जनहित में हो लेकिन ऐसा ना होकर 2 महीने पूर्व बनी सड़क को फिर उजाड़ दिया पेयजल लाईन के चक्कर मे जिसके कारण सम्पूर्ण जनता में रोष व्याप्त है।जनता का करोड़ो रुपया खर्च करने के बाद जनता फिर उबड़ खाबड़ सड़क पर चलने को मजबूर है।जल संस्थान एवं पेयजल निगम मार्च माह के चलते बजट आवंटन को मनमाने ढंग से खर्च कर जनता के साथ धोखा कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों से मुनि की रेती की जनता जिसमे ढालवाला , चौदह बीघा, कैलाश गेट, शीशम झाड़ी आदि सम्मिलित रहे है उनमें पेयजल लाईन के नाम पर नई लाईन डालने के नाम पर उजाड़ा गया और फिर रही कहि कसर मुनि की रेती पालिका परिषद के कारनामो ने सड़क को जे सी बी से खोद डाला और जनता को ऐसी सड़को पर चलने सहित जोखिम में डालने का कार्य किया।जन असंतोष के चलते आखिरकार जनता को सड़क तो मिल गयी किन्तु फिर पेयजल विभाग के कारनामो ने सवालिया निशान लगा दिया है। पर्यटक आवास गृह ऋषिलोक आवास रोड़ को फिर बजट ठिकाने लगाने के नाम से करोड़ो रुपया खर्च करने के बाद दो माह में खोद डालना सरकार और सम्बंधित विभाग की लचर कार्यप्रणाली ओर विकास के दावों की पोल खुलता नजर आ रहा है।इस सम्बंध में स्थानीय जागरूक निवासी मनोज मलासी ने सी एम पोर्टल पर शिकायत कर जिलाधिकारी को भी पेयजल विभाग के कारनामो से अवगत कराते हुए हस्तक्षेप की मांग की है।जनता के खर्च करोड़ो रुपये धन को इस विभाग के कारनामो के चलते रिकवरी करने का जनहित में मांग की है।
बात मजे की ये भी है कि सड़क निर्माण से पूर्व नगर पालिका,पेयजल,दूर संचार, सीवर, विधुत आदि विभाग से समन्वय कायम न करते हुए विकास के नाम पर जी 20 के चलते केंद्र से मिले धन को बर्बाद करने की नियति मनमाने ढंग से की गई जिसका आज जनता को लाभ मिलना चाहिये था वो जनता ही आज विकास के नाम पर उजड़ी सड़को पर जोखिम भरे दौर से गुजर रही है।विकास के नाम पर जनता के धन का दुरुपयोग उचित नही है जनता में इस कार्यवाही से भारी रोष है। वही दूसरी ओर जल संस्थान विभाग की कार्यप्रणाली का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पीने को पानी नही लेकिन बिल अनाप शनाप गलत तरीको से प्राप्त हो रहे है।जनता परेशान पेयजल अधिकारी और कर्मचारी मोज़ ले रहे है।हाल ये है कि बिल ठेकेदार के भरोषे उसकी मर्जी से जनता को देने को बाध्य होना पड़ रहा है।कई बार शिकायत करने के बाद भी बिल सुधार नही करवाये गए है और मनमाने बिल प्रेषित किये जा रहे है जो उचित नही है। इस बार जनता का आक्रोश बहुत अधिक है अगर पेयजल विभाग अपनी कार्यप्रणाली को दुरस्त नही करता है तो उसको जनता का भारी असंतोष झेलना पड़ सकता है और इससे सरकार को भी शर्मन्दगी उठानी पड़ सकती है।जनता का विरोध जारी है दूसरी ओर जल संस्थान विभाग बजट ठिकाने लगाने को जुटा है।