September 22, 2025

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स्पोसी का 10 वां वार्षिक स्पोसिकॉन-2023 संपन्न, नेत्र रोग विशेषज्ञों ने बच्चों के गंभीर नेत्र विकारों पर की गहन चर्चा

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Rishikesh.  :  स्ट्रै्रेबिस्मिक एंड पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (स्पोसी) का 10वां वार्षिक सम्मेलन, स्पोसिकॉन-2023 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में संपन्न हो गया। उत्तराखंड राज्य में स्पोसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन का संस्थान की कार्यकारी निदेशक और सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने विधिवत शुभारंभ किया। उद्घाटन कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश की डीन (शैक्षणिक) प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आर.बी. कालिया, सोसाइटी के के अध्यक्ष प्रो. पी. जी. देशपांडे, सचिव प्रो. पी. के.पांडे व नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संजीव कुमार मित्तल प्रमुखरूप से शामिल हुए।

इस अवसर पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि दृष्टि की स्थायी हानि और कॉस्मेटिक दोषों से बचने के लिए युवाओं में भैंगापन की पहचान की जानी चाहिए और उसका शीघ्र उपचार किया जाना चाहिए। सम्मेलन में नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने अपने व्याख्यान में बच्चों के मोबाइल फोन के उपयोग को सीमित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। साथ ही बढ़ते स्क्रीन समय के परिणामस्वरूप बाल आयु वर्ग में मायोपिया ग्रसित रोगियों की संख्या में हालिया वृद्धि पर भी ध्यान आकर्षित किया।
सोसाइटी के सचिव प्रो. पी. के. पांडे ने लकवाग्रस्त स्ट्रैबिस्मस के प्रबंधन पर अपनी राय व्यक्त की और योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी मानी जाने वाली तीर्थनगरी ऋषिकेश में इस सम्मेलन के आयोजन पर प्रशंसा व्यक्त की।
बताया गया कि स्ट्रेरेबिस्मिक एंड पीडियाट्रिक ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया स्पोसी के 10 वें वार्षिक अधिवेशन में देशभर से 100 से अधिक अकादमिक सदस्यों और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और बच्चों को प्रभावित करने वाले कई विवादास्पद नेत्र विकारों पर गहन चर्चा की। इस दौरान विशेषज्ञों ने बाल मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, एम्ब्लियोपिया, भैंगापन, ट्यूमर और प्रीमैच्योरिटी की रेटिनोपैथी (आरओपी) आदि मुख्यरूप से शामिल थे। इस अवसर पर एक ऑनलाइन सत्र का आयोजन भी किया गया, जिसमें दुनियाभर के नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों व चिकित्सा विज्ञानियों ने जटिल भैंगापन मामले पर अपने अनुभव और दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।
सम्मेलन में सोसाइटी के द्वारा आयोजित सम्मेलन की स्थानीय आयोजन समिति के सदस्य प्रोफेसर अजय अग्रवाल, प्रो. अनुपम सिंह, डॉ. नीति गुप्ता, डॉ. रामानुज सामंत आदि शामिल थे।

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