September 22, 2025

JMG News

No.1 news portal of Uttarakhand

प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों योग,यज्ञ व आयुर्वेद को जो दर्जा मिलना चाहिए था वह अब नहीं मिल पाया है ; डॉ. मीनू सिंह

1 min read

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, ऋषिकेश में बृहस्पतिवार को भारतीय सांस्कृतिक चिकित्सा पद्धति एवं वैदिक परंपरा के आधार पर महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य के लिए छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का विधिवत आगाज हो गया। जिसमें योग, आयुर्वेद एवं यज्ञ विषय पर विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए और प्रतिभागियों से अपने अनुभव साझा किए। इस दौरान उन्होंने योग को आत्मसात करने पर जोर दिया।

एम्स,ऋषिकेश के आयुष विभाग व श्रीराम योग सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में बृहस्पतिवार को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रतिनिधि दयाशंकर के सानिध्य में प्रात: यज्ञ के आयोजन से दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा कि यज्ञ हमें त्याग, योग हमें अनुशासन व आयुर्वेद हमें जीवनशैली सिखाता है और इन्हीं माध्यमों से हम शरीर से रोगों का निवारण कर सकते हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि निदेशक व सीईओ एम्स, ऋषिकेश प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने दो दिवसीय सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों योग,यज्ञ व आयुर्वेद को जो दर्जा मिलना चाहिए था वह अब नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह इन पद्धतियों को अब तक अनुसंधान के नजरिए से नहीं देखा गया। निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह ने इस अंतराष्ट्रीय सम्मेलन से एम्स ऋषिकेश ने इस दिशा में पहल की है। लिहाजा संस्थान के स्तर पर ट्रेडिशनल मेडिसिन पर वैज्ञानिक अनुसंधान की जल्द शुरुआत की जाएगी।
संस्थान की संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कियोग एक जीवनशैली है व आयुर्वेद एक शाश्वत विज्ञान है।
मुख्य वक्ता नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर प्रो. मीरा अंबिका महापात्रा ने बताया कियोग महिलओं के स्वास्थ्य को न सिर्फ शारीरिक रूप से बल्कि सामाजिक व मानसिक तौर पर भी विकसित करता है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के प्रो. रविप्रकाश आर्या ने आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांत एवं अष्टांग योग पर व्याख्यान दिया। उन्होंने व्यक्ति के स्वस्थ रहने में दिनचर्या,ऋतुचर्या के महत्व पर प्रकाश डाला।

योग मर्मज्ञ रूद्र भंडारी नेयोग व आयुर्वेद का कोविड 19 के समय मरीजों पर किए गए अध्ययन के अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि योग व आयुर्वेद के समन्वय से तैयार उपचार से कोविड ग्रसित मरीजों को अप्रत्याशित लाभ प्राप्त होता है। डॉ. दीपेश्वर सिंह ने योग का एक महिला में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व आध्यात्मिक प्रभाव की विस्तृत जानकारी दी।
इस अवसर पर 112 विद्यार्थियों व अनुसंधानकर्ताओं ने योग, आयुर्वेद एवं यज्ञ विषय पर अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए। जिसके निर्णायक मंडल में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी आयुष डॉ. श्रीलोय महंती शामिल रहे। श्रीराम योग सोसाइटी के प्रमुख योगाचार्य डॉ. नवीन पांडेय ने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन में मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यट ऑफ योगा नई दिल्ली की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. इंदु शर्मा ने कहा कि योग को आत्मसात करने से शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होता है। सम्मेलन में प्रो. एसएस श्रीयाल, प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने भी व्याख्यान प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर संस्थान की सीएफएम एवं आयुष विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना, डॉ. मीनाक्षी धर, सम्मेलन की समन्वयक डॉ. वंदना धींगरा, चिकित्सा अधिकारी आयुष डॉ. श्वेता मिश्रा, डॉ. राहुल काटकर आदि मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

Breaking News