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एम्स ऋषिकेश ने बेहतर नैदानिक अभ्यास पर कार्यशाला का आयोजन किया

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28 मार्च 2024

चिकित्सा शिक्षा एवं रिसर्च के क्षेत्र में उत्कृष्टता के प्रतीक एम्स ऋषिकेश में बृहस्पतिवार को गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस( जीसीपी ) विषय कार्यशाला का आयोजन किया गया। बताया गया कि एम्स, ऋषिकेश के रिसर्च सेल की ओर से आयोजित कार्यक्रम का उद्देश्य क्लीनिकल समझ को मजबूत करना है। साथ ही क्लीनिकल ट्रायल में नैतिक सिद्धांतों और गुणवत्ता मानकों का पालन करना है, जो कि स्वास्थ्य देखभाल को आगे बढ़ाने के लिए नितांत आवश्यक हैं।

कार्यशाला का एम्स ऋषिकेश की निदेशक और सीईओ प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह की अगुवाई में कार्यक्रम में जुटे चिकित्सा जगत के दिग्गजों ने संयुक्तरूप से उद्घाटन किया। इस दौरान विशेषज्ञों ने व्याख्यानमाला में अपने अनुभवों को प्रतिभागियों के समक्ष साझा किया। उन्होंने आधुनिक चिकित्सा के समकालीन प्रबंधन में साक्ष्य आधारित चिकित्सा की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने अनुभव व व्यावहारिक ज्ञान से प्रतिभागियों को अवगत कराया। भारत में साक्ष्य आधारित बाल स्वास्थ्य में अपनी विशेषज्ञता और अग्रणीय योगदान के साथ संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने मजबूत साक्ष्य और वैज्ञानिक अनुसंधान पर चिकित्सा निर्णयों को आधारित करने के अपरिहार्य महत्व पर जोर दिया। कोक्रेन इंडिया नेटवर्क के सह अध्यक्ष के तौर पर अपने व्यापक अनुभव के मद्देनजर उन्होंने स्वास्थ्य अनुसंधान के परिदृश्य और गुणवत्तापूर्ण जीसीपी प्रशिक्षण के निहितार्थों पर प्रकाश डाला।

संस्थान के रिसर्च सेल के डीन प्रोफेसर शैलेन्द्र हांडू ने अनुसंधान को उत्कृष्टता व दृढ़ प्रतिबद्धताओं के साथ आगे बढ़ाने पर जोर दिया।

कार्यशाला में देशभर से जुटे विशेषज्ञों के०ई०एम मुंबई से डॉ. निथ्या गोगटे, एम्स ऋषिकेश के फार्माकोलॉजी विभाग के प्रोफेसर पुनीत धमीजा ने जीसीपी सिद्धांतों पर अपनी गहन अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा किए। इस दौरान रोश इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से सुश्री भावना गुप्ता, डॉ. वाणी देवधर, महेश पाटिल, सुश्री निधि दास, डॉ. वर्षा प्रधान आदि ने व्याख्यान प्रस्तुत किए।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि अच्छे क्लिनिकल प्रैक्टिस के महत्व को खासकर भारत जैसे गतिशील स्वास्थ्य सेवा के परिदृश्य में कम करके नहीं आंका जा सकता। कहा कि जिस तरह से देश चिकित्सा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उल्लेखनीय प्रगति देख रहा है, लिहाजा क्लीनिकल ट्रायल्स की सुरक्षा, प्रभाव और नैतिक अखंडता सुनिश्चित करने के लिए जीसीपी सिद्धांतों का पालन महत्वपूर्ण हो जाता है। कहा गया कि क्लीनिकल ट्रायल्स स्वास्थ्य देखभाल नीतियों और हस्तक्षेपों को आकार देने, नवाचार को बढ़ावा देने और रोगी परिणामों में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि हमारी विविध आबादी की स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं के सही मायने में समाधान के लिए अनुवादात्मक क्लीनिकल ट्रायल्स की तत्काल आवश्यकता है।

कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ. अमित सहरावत ने कहा कि इस आयोजन की सफलता नैतिक अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हमारे स्वास्थ्य पेशेवरों को उच्च गुणवत्ता वाले क्लीनिकल ट्रायल्स करने के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से लैस करके हम न केवल चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ा रहे हैं बल्कि अपने समुदायों के स्वास्थ्य और कल्याण में भी सुधार कर रहे हैं। कार्यशाला आयोजन समिति में डॉ. अश्वनी महादुले, डॉ. बेला गोयल, डॉ. राजराजेश्वरी, प्रोफेसर फरहानुल हुदा शामिल थे।

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