मणिकूट पर्वत की परिक्रमा 20 मार्च 2024 07:00 बजे पाण्डव गुफा, लक्ष्मणझूला से प्रारम्भ होगी।
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गट्टू गाड जिला मुख्यालय पर स्थित आश्रम आश्रम में सद्गुरु राही बाबा जी के सानिध्य में इस वर्ष होने वाली वार्षिक मणिकूट प्रतिमा की तिथि निर्धारित करने के लिए मणिकूट प्रतिमा समिति की बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में तय हुआ कि 20 मार्च 2024 07:00 अपराह्न श्रद्धांजलि पाण्डव गुफा जिला अधिकारी कार्यालय लक्ष्मणझूला सेस्टारेट होगी।
श्लोक के संगीतकार पूर्व संगीतकार राकेश उनियाल ने बताया कि हिमालय में मणिकूट हमेशा ही तपस्या करने वाले ऋषि मुनियों की तपस्थली रहती है। तपस्वी मणिकूट पर्वत की प्रशंसा, आलौकिक शक्तियों का संग्रह तथा भगवान की प्राप्ति की कामना करते थे।
वर्तमान समय में गृहस्थ मणिकोटि दर्शन पर्यटन लाभ और साधु जन भगवान की प्राप्ति की कामना करते हैं। इस पवित्र यात्रा मार्ग में आने वाले 12 द्वारो की पूजा की जाती है। प्रथम द्वार पांडव गुफा है। यह स्थान स्वर्गारोहणी के समय पाण्डवों की तपोस्थली तो रहा ही, सतयुग में देवताओं के गुरु बृहस्पति द्वारा यह स्थान पूजित था। त्रेता युग में लक्ष्मण जी ने यहां तपस्या की थी। द्वापर युग में महावीर हनुमान जी की तपोभूमि पर आगमन। भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा विश्व के कई देशों की फिल्मों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
यात्रा में पाण्डवगुफा, गरुड़चट्टी, फूलचट्टी, काली कुंड, पीपलकोटी, दुली, कुशल, निवासिनी, गोहरी बैराज, गणेश चौड़, भैरवघाटी जैसे स्थानों पर 12 देवताओं की पूजा होती है।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से सामुहिक यात्रा एक दिन में ही जा रही है। यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के पास स्वयं का वाहन नहीं होगा, उन्हें पाण्डवगुफा में स्मारक समिति द्वारा निःशुल्क वाहन उपलब्ध कराये जायेंगे। सभी यात्रियों के लिए निःशुल्क जलपान एवं भोजन की व्यवस्था। दिन के भोजन की व्यवस्था विशाल भंडारे के रूप में कुशल (टाडो) में स्थित स्थान पर रखी गई।