September 20, 2025

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रिवर्स पलायन करने वाले झर्त गांव के अरविंद नेगी बने अनुकरणीय उदाहरण

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सूचना 07 अक्टूबर 2024

 

*पौड़ी जिले के रिखणीखाल ब्लॉक ने मत्स्य उत्पादन में बनाई पहचान*

 

*लगभग 40 गांवों में ग्रामीण कर रहे मछली पालन*

 

 

*रिवर्स पलायन करने वाले झर्त गांव के अरविंद नेगी बने अनुकरणीय उदाहरण*

 

 

पौड़ी। जिले का विकास खंड रिखणीखाल मत्स्य पालन का प्रमुख केन्द्र बन गया है। केंद्र और राज्य सरकार की मत्स्य पालन योजना ग्रामीणों की आर्थिकी का मजबूत आधार बन गई है। रिखणीखाल के ग्रामीण हर साल 40 से 50 क्विंटल मछली बेचकर लाखों रूपये कमा रहे हैं। मत्स्य उत्पादन में मुनाफे को देखते हुए अब अन्य ग्रामीण भी मछली पालन व्यवसाय से जुड़ने लगे हैं।

ग्रामीणों की अपने गांव में ही बंजर खेतों से आमदनी हो और रिवर्स पलायन को बढ़ावा मिले। इसके लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार ग्रामीण अंचलों में स्वरोजगार हेतु कई योजनाएं चला रही हैं। ऐसी ही योजनाएं हैं प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना। इन योजनाओं के जरिए ग्रामीण मछली पालन से जुड़ रहे हैं। इसके अलावा मत्स्य पालन के लिए ग्रामीणों को जिला योजना से भी आर्थिक मदद दी जा रही है।

जनपद का विकास खंड रिखणीखाल उक्त योजनाओं का लाभ उठाकर मत्स्य पालन के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। विकास खंड के झर्त, अजीतपुर, कर्तिया, जुहीसेरा, ढिकोलिया और बसड़ा आदि गांवों में लगभग 40 ग्रामीण मत्स्य पालन से जुड़े हैं। झर्त गांव के युवा अरविंद नेगी आज रिवर्स पलायन के अनुकरणीय उदारण बन गए हैं।

कोरोना काल के दौरान वर्ष 2020-21 में अरविंद नेगी नौकरी छोड़कर अपने गांव लौट आए। गांव में स्वरोजगार के लिए उन्होंने मत्स्य पालन की योजना बनाई। उन्होंने इसके लिए अन्य गांववालों को प्रेरित किया। सहमति बनने के बाद जिला योजना से मत्स्य पालन विभाग की मदद से ग्रामीणों ने 16 मत्स्य तालाब क्लस्टर के रूप में बनाएं। इसके बाद केंद्रीय योजनाओं का लाभ लेते हुए नेगी ने आरएएस (रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम/ पुन: परिसचंरण जलीय कृषि प्रणाली ) का निर्माण किया। वर्तमान में वह प्रतिवर्ष 15 से 18 क्विंटल मछली उत्पादन कर रहे हैं ।

इसी प्रकार कृतिया गांव के विक्रम सिंह पिछले तीन सालों मत्स्य पालन कर रहे हैं। वह अपने 12 तालाबों में पंगास एवं कार्प प्रजाति की लगभग 10 से 12 कुंतल मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं यह मछलियां स्थानीय बाजार में ही ₹300 प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से बिक जाती हैं।

जिला मत्स्य अधिकारी अभिषेक मिश्रा बताते हैं कि रिखणीखाल क्षेत्र मत्स्य पालन में अग्रणी बन गया है। यहां ग्रामीण मछली बेचकर साल में अच्छी आमदनी कर रहे हैं। योजनाओं के तहत मछली पालन के लिए सामान्य वर्ग को 50% और अनुसूचित जाति व महिलाओं को 60% राज सहायता पर अनुदान दिया जा रहा है। ग्रामीणों को मत्स्य तालाब, बायोफ्लोक सिस्टम निर्माण और मत्स्य प्रशिक्षण में सहायता दी जा रही है।

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