December 22, 2025

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यात्रा कार्यालय को देहादुन शिफ्ट करने का निर्णय अविवेकपूर्ण,कर्मचारी ओर जनता व आम आदमी पार्टी पुरजोर विरोध करेगी।

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मुनी की रेती : मुनी की रेती स्थित एक खोखा जिसमें गढ़वाल मंडल विकास निगम यात्रा कार्यालय की सभी कार्य प्रणाली संचालित की जाती थी तथा जिसने गढ़वाल मंडल विकास निगम ने इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा करके दिया वह कैलाश गेट आज निगम विहीन हो चुका है जिस वक्त कैलाश गेट से कार्यालय हटाया गया था तो ऋषिकेश शिफ्ट कर दिया गया था किंतु आज फिर ऋषिकेश से कार्यालय देहरादून शिफ्ट किया जा रहा है इस तरह से जिस जगह ने निगम को इतनी बड़ी पहचान दी , जिसे निगम द्वारा अपनी धरोहर के रूप में संजोए रखना चाहिए था,उसे निगम धरोहर के रूप में स्थापित करने की जगह शिफ्ट करने का काम कर रहा है जिसके विरोध में कर्मचारी, जनता व आम आदमी पार्टी लामबंद हो चुके हैं l

गढ़वाल मण्डल विकास निगम की स्थापना 1976 में प्रदेश के लोगो को स्वाभलम्बी बनाकर उन्हें रोज़गार सहित विकास प्रदान कर पलायन को रोकना प्रमुख रहा।उससे पूर्व यह संस्था 1973 से पर्वतीय विकास निगम के रूप में कार्यशील रही किन्तु उत्तराखण्ड ओर कुमायूँ अलग अलग कमिश्नरी होने की दशा में जनता को सविधा देने के लिए दो भागों में विभक्त कर जिनमे गढवाल मण्डल,कुमाऊँ मण्डल विकास निगम कर दी गई।गढवाल मण्डल का मुख्यालय देहरादून ओर कुमायूँ का नैनीताल स्थापित हुआ।उत्तराखण्ड में पर्यटन की अपार सम्भावनाये मौजूद थी किन्तु इसको अमली जामा दिए जाने हेतू तत्कालिक पर्यटन के पुरोधाओं ने आंकलन कर मुनिकी रेती स्थान को यात्रा कार्यालय बनाकर पर्यटन को आगे बढ़ाने का कार्य किया।निगम के प्रयास से संसाधनों का अभाव होने पर भी उत्तराखण्ड पर्यटन के रूप में विश्व पटल पर आकर्षण का केंद्र रहा इसके साथ ही अध्यात्म, मनोरंजन, साहसिक पर्यटन की दशा में कार्य कर लाखो लोगो को प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष लाभ का भागीदार बना।
वर्तमान समय मे सूत्रों के हवाले से सूचना प्राप्त हुई है कि निगम प्रबन्धन बिना सोच विचार कर यात्रा कार्यालय को देहरादून शिफ्ट किये जाने की योजना को अंतिम रूप प्रदान करने जा रहा है।इससे पूर्व भी निगम प्रबन्धन ने जब भी यात्रा कार्यालय पर प्रहार करने की कोशिश की तब तब निगम को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा है और व्यवसाय में बहुत कमी आई है।इसकी शुरुवात तो वर्ष 2000 में हो गयी थी जब यात्रा कार्यालय को मुनि की रेती से ऋषिकेश एकांत स्थान शैल विहार शिफ्ट कर दिया गया ।इसका खामियाजा निगम को बहुत अधिक भुगतना पड़ा वही दूसरी ओर निगम का एकल प्रभाव युक्त राफ्टिंग व्यवसस्य प्राईवेट संस्थाओ के प्राप्त कर लिया ।असज भी 350 से अधिक राफ्टिंग व्यवसाय कार्यशील है वही निगम की भूमिका लचर प्रबन्धन के कारण हासिये पर है।
निगम प्रबन्धन इससे सबक लेकर सचेत होकर कार्य करता किन्तु ऐसा ना कर अपने अड़ियल रुख के कारण फिर वर्ष 2018 में यात्रा कार्यालय के आवास आरक्षण पटल को देहरादून शिफ्ट कर दिया गया जिससे निगम के पर्यटन व्यवसस्य पर भारी आघात हुआ वही आपसी सामंजस्य के अभाव के कारण करोड़ो रुपयों की हानि सहित निगम की साख को बट्टा लगा है।इस भारी नुकसान ओर आपसी सामंजस्य के अभाव को महसूस करते हुए अड़ियल निगम प्रबन्धन को अपना फैसला बदलना पड़ा और आनन फानन में रातो रात बिना किसी आदेश के यात्रा कार्यालय के आरक्षण पटल को ऋषिकेश से ही संचालित करने की कार्यवाही की गई। अब की बार भी निगम प्रबन्धन फिर से इस मामले में मुखर हुआ है और अपने पैरों में खुद कुहाड़ी से प्रहार कर अपनी बची साख को डुबोने को तैयार है।उल्लेखनीय है कि पर्यटन,योग,साहसिक,फारेस्ट,वन,जीव सहित आध्यात्मिक लबालब से भरे इस क्षेत्र से शिप्ट करने का जो फरमान है वो निकट भविष्य में बहुत नुकसान देह साबित होगा जिसकी भरपाई मुश्किल है।निगम प्रबन्धन के इस गैरजिम्मेदार फैसले से जनता भी विरोध पर उतरने का मन बना चुकी है।ऋषिकेश विधानसभा के विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल जो निगम बोर्ड के पूर्वअध्यक्ष रह चुके है जिन्हें निगम की समस्त जानकारी है उन्हें भी ये नागवार गुजरेगा ।निगम कर्मचारी संग़ठन इस बारे में उनसे वार्ता कर पर्यटन मंत्री सतपाल जी महाराज से भी मिलकर आगे की रणनीति बनाएगा। निगम प्रबन्धन को अगर प्रदेश का पर्यटन आगे बढ़ना है तो अपनी समस्त पर्यटन गतिविधियों का संचालन ऋषिकेश पर्यटन नगरी से संचालित करें।

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