बच्चों को संस्कृति, सँस्कार, ओर चरित्रवान बनाये तभी सनातन मजबूत होगा– आचार्य गणेश
1 min read
डाँडी, मन सदैव प्रभु पर लगाये ते मनुष्य जीवन 88 लाख यूनियो के बाद मिला है।इसलिए कर्म को सुधारने का कार्य करे जिससे मुक्ति प्राप्त हो सकती है बड़े भाग ये मानुष तन पावा… ।आज भविष्य को सुधारने के लिये उसे अपने संस्कार, संस्कृति, सहजता, अनुशासन चरित्र का पाठ पढ़ाना जरूरी है।सही गणेश जी ने कहा कि आज जाति, धर्म, भाषा ओर अन्य बाते जो सामाजिक समारिता पर प्रभाव डालती है उसको विवेकशील प्राणी होने पर अपना दायित्व समझते हुये रूढ़िवादिता को समाप्त करने के लिए आगे आये। भक्ति, ज्ञान, वैराग्य को पाने के लिए आपको स्वयं के अन्दर जाना होगा और ये आपको श्री मद भागवत, रामायण, शिवपुराण, विष्णु पुराण, दुर्गा पुराण आदि का अध्ययन करें ।भगवान के लिए शरीर को सजाने की आवश्यकता नही बल्कि मन को समर्पण करना श्रेष्ठ है तभी ईश्वर प्राप्त होगा ।
आज कथा के चौथे दिन साँई मन्दिर डाँडी में आयोजित श्री मद भागवत कथा के अवसर पर उन्होंने कहा कि यजमान परिवार को पण्डितो की सेवा भाव और सत्कार करना चाहिए।धन की पवित्रता दान से है इसलिये सुखी तन होना आवश्यक है।गृहस्थी के लिए सेवा और सुमिरन का भाव होना जरूरी है। श्री गणेश जी ने कहा कि आप सनातन तभी सुरक्षित है जब आप ग्रन्थों को केवल श्रवण करे बल्कि उन्हें जीवन मे उतारने का प्रयास करे।जीवन के अंदर अपनी बुराई को खत्म करें तभी इन पुराणों, उपनिषद का महत्व है।ध्यान का मतलब असल ये है कि जिसे ध्यान में ला रहे है उसको अपने कर्मेन्द्रियों में उतार दो।राम मर्यादा है जब जंगल प्रस्थान कर राजगद्दी त्याग दी तभी राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये।वही भरत का त्याग और समर्पण को देखिए कि उन्होंने 14 वर्ष नदी ग्राम में रहकर राम का भक्तिभाव स्मरण किया और उनकी खड़ाऊ से राजधर्म का निर्वाह किया।लक्ष्मण का त्याग और राम के प्रति प्रेम सहित सम्पूर्ण राम परिवार का एक एक सदस्य हमे जीवन को श्रेष्ठ बनाने का मूलमंत्र और अवसर प्रदान करता है। आज की कथा में द्वापर युग मे कंस ओर दुर्योधन सहित कौरवों के मुक्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण ने मानव जीवन लेकर अत्याचार का अंत कर मानव को 5500 साल पहले श्री मद भागवत कथा को वर्तमान में उसकी सत्यता को पुष्टि प्रदान करती है।श्री गणेश ने शास्त्र सम्मत उदाहरणों को प्रासंगिक रूप से वर्णित किया उन्होंने कहा कि ईश्वर को 50 के बाद नही बल्कि आज से ही भजना चाहिए।सनातन इसका प्रमाण है कि भक्त प्रह्लाद, सत्य, सनातन शुकदेव आदि है जिन्होंने प्रारम्भिक अवस्था मे ईश्वर को साक्षत पाने में सफलता प्राप्त की।करते कर्म करो विधि नाना, मन राखे कृपा निधाना का मानव को पालन करना चाहिए। स्वादु नही, साधु बनिये । संसार मे गृहस्थी जीवन बहुत श्रेष्ठ है जो सभी जीवो की सेवा करता है।पुण्य कर्म करता है।ईश्वर की भक्ति करता है ।आज वर्तमान को स्वस्थ्य, सुंदर और चरित्रवान बनाने के साथ सनातन मजबूर हो तो धारणाएं बदलने की आवश्यकता है।आज की कथा श्री कृष्ण भगवान का अवतरण दिवस तक गाई जा रही थी ।इस अवसर पर सेम नागराजा को भी उत्तराखण्ड में जो स्थान प्राप्त है उसकी महत्ता को बतलाया गया।
आज की कथा में प्रात काल यजमान परिवार ने वैदिक नियमित पूजा पाठ कर व्यासपीठ मण्डली का स्वागत सत्कार किया गया है यजमान परिवार के अभिनव शर्मा, शंशाक शर्मा, अदिति शर्मा,सन्तोषी देवी, रामकिशोर सुयाल, पूर्णानन्द सुयाल, अनिता सुयाल,विनीत सुयाल, अनिता रयाल, सुरभि शर्मा, मालती शर्मा, रामेश्वरी देवी, मधु गुप्ता, सरिता शर्मा,सतीश बड़थ्वाल, हर्षदेव बहुगुणा, दिनेश शर्मा सहित विद्वान पण्डित सहित अनेक भक्त गण कथा अमृत का पान कर जीवन का सार समझ रहे है।