स्वयं अपनी जीते जी मुक्ति का प्रयास करे…आचार्य गणेश
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डाँडी, माँगना ही है तो जीते जी प्रभु से माँगिये ओर स्वयं जीते जी अपनी मुक्ति का प्रयास कीजिये।मानव जीवन मे भोग तो हर हाल में भुगतना ही है तो फिर अपना कर्त्तव्य मार्ग बडी ईनामदारी ओर सत्यता के साथ जनहित में लगाये।ये बात श्री मद भागवत के दूसरे दिन साँई मन्दिर परिषर में व्यास पीठ पर विराजमान श्री गणेश महाराज ने कहा।
उन्होंने कहा कि ज्ञानी व्यक्ति सदैव कहता है कि हे प्रभु सदा तुम्हारे ऊपर ध्यान लगा रहे ।दिव्य भव्य और नव्य भगवान प्रदान करते है।प्रभु से माँगना है तो चंचल मन प्रभु श्री चरणों में लगाये रखना।पित्रो को निमित बनाकर ईश्वर ने मनुष्य के उद्वार के मार्ग बनाया है।मन , कर्म, वचन की शुध्दता ही सच्चा विराट स्वरूप है। परमात्मा का दर्शन करे चित्त परिचित रूप से।ब्रह्मा जी भी श्री मद भागवत कथा का पुण्य देखकर अचंभित हो गए कि इसके श्रवण से राजा परीक्षित कैसे हरिधाम नारायण का सानिध्य पाकर मोक्ष को प्राप्त हो गए। जो मानव अपने हाथ , पैर चला सकता है कर्म कर सकता है फिर वो कहे कि मैं गरीब हूँ तो वो व्यक्ति निक्कमा है और आलसी है जो दूसरों पर निर्भर रहने का आदि है। बिन कारण कर्म होता है तो परिणाम भी अच्छा होता है।विशाल नाम के राजा का तप का प्रताप श्री बद्रीविशाल तपोभूमि है जँहा साक्षात नारायण तपस्या में लीन है और बद्री स्वरूप यानी बैर का पेड़ माँ लक्ष्मी के रूप में श्री नारायण की सुरक्षा में छत्र के रूप में विराजमान है। उत्तराखण्ड के चार धाम यमनोत्री , गंगोत्री, केदारनाथ ओर बद्रीविशाल भूतों ना भविष्यति स्थापित है।जँहा ज्ञान, भक्ति, वैराग्य ओर मुक्ति के दर्शन हर कोई भक्त स्वयं अनुभव कर सकते है। पवित्रता तन ,मन ओर धन सहित अन्न की होती है किंतु एक साधक को जो प्रभु में ध्यान लगाना चाहता है तो नियमो का पालन जरूरी है।
पर उपदेश कुशल बहुतेरे… लालच बुरी बला है, ज्ञान बहुत अधिक है परन्तु कर्म निम्न है तो फिर उपदेश देना उचित नही है। इसलिए मेरा आप सभी से कहना है कि अपने अधिकार के तहत ही कर्म प्रधान बनकर अपना दैनिक कार्य करें।काम, क्रोध, लोभ, मोह पर बस करना ही तप है।अपने अधिकार में जो नही है वो अनर्थ है। प्रेम मोह बनता है तरक्की है अगर मोह करेंगे तो वो बेड़ी बनकर तरक्की को रोकने का कार्य करती है। अपने मन को मारने वाला राम और अपने मन पर नियंत्रण ना करने वाला रावण है।
आज दूसरे दिन की कथा में यजमान परिवार के अभिनव शर्मा, शंशाक शर्मा ,अदिति शर्मा, सन्तोषी देवी सुयाल, सुरभि शर्मा, रामेश्वरी देवी बड़थ्वाल,मधु गुप्ता, अनिता कुकरेती,सरिता शर्मा, सतीश बड़थ्वाल, राजेन्द्र बड़थ्वाल, अनिल मित्तल सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित कथा श्रवण का आनन्द ले रहे।व्यासपीठ मण्डली के आचार्य राजेश सिलस्वाल, विक्रम जोशी , संजय सिलस्वाल आदि अनेक पण्डित इस आयोजन पर अपने दायित्वों के बखूबी कर रहे है।