विक्रम चालको का व्यवहार अनुचित तो फिर कैसे उभरेगा पर्यटन
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नगर निगम रेती, विक्रम चालक की छाती पर अभद्रता के कारण पहाड़ों को प्रतिदिन परेशान और दो चार होना पड़ रहा है, वही इन छाती पर बेहताशालाइन पर बिना किराये की सूची के किराये की दर की जा रही है। इस बात से नगर की जनता भी काफी परेशान है और किराये पर लेना मजबूरी है, वही सम्भागीय परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन यह देखकर भी परेशान है कि केवल दो मॉडल वाहनों के किराये तक सीमित बना हुआ है।
ऐसा ही वाक्या आज देखने को मिला हरिद्वार से ऋषिकेश स्टैंड का विक्रम संख्या यू के 14 टी ए 75 80 में 6 पर्यटक सवार होकर कैलाश गेट ऋषिलोक के लिए चले और जब वो कैलाश गेट पहुंचे तो विक्रम चालक ने उन्हें सड़क पर उतरने को कहा उन्होंने कहा कि हमें ऋषिलोक जाना है वहीं हम छोड़ दो जब वाहन चालक द्वारा सहयोग और सेवा के बदले अभद्रता की गई। जब पर्यटक ऋषिलोक सड़क पर आए तो उन्हें पर्यटक आवास गृह के कर्मियों द्वारा मेन गेट से अंदर आने को कहा और चालक की अस्थमा के चलते उनकी 150 रुपये प्रति सीट देने के बाबूजूद भी होटल तक नहीं छूट गया। विक्रम चालको की इस प्रकार की अस्थमा के चलते पर्यटक का ऋषिकेश के प्रति मोह भंग हो रहा है वही रेलवे व्यवस्था का बुरा हाल पर्यटकों को राश नहीं आ रहा धूमिल ना किया जाय लेकिन सरकार की मंशापूर्ण योग, अध्यात्म और तीर्थयात्रियों से पलट इसे साहसिक पर्यटन, राफ्टिंग और सोम नगरी के रूप में प्रमुखता से आगे बढ़ने के साथ राजस्व निर्माण करने की मंशापूर्ण है। तो फिर कैसे ये नगर अपने पुराने वजूद को कायम कर योग, अध्यात्म और तीर्थयात्री केंद्र के रूप में सवंर कर सकता है। विक्रम चालक और सार्वजनिक कैरियर से जुड़े लोगों को पर्यटकों से अच्छे व्यवहार और सेवा दे तो फिर समस्या क्या होगी?