September 23, 2025

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होली में हानिकारक रंगों से रहें सावधान ,रंग व गुलाल खेलते वक्त बरतें सावधानियां , एम्स ऋषिकेश ने जारी की एडवाईजरी 

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एम्स विश्विद्यालय

23 मार्च, 2024

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होली पर इन दिनों बाजार में केमिकल वाले रंग की भरमार है। ऐसे रंग आपकी आंखें और त्वचा, दोनों के लिए खरीदारी हो सकती है। इसके अलावा रोगी और एलर्जी की शिकायत भी हो सकती है। एम्स रिज़ ने होली पर स्वास्थ्य एडवाइजरी जारी कर सलाह दी है कि, होली प्रतियोगिता के समय अपने स्वास्थ्य के प्रति विशेष सावधानी बरतें।

 

आँखों का विशेष ख़याल–

एम्स ऋषिकेश में उत्सव रोग विभाग के विभागाध्यक्ष एवं चिकित्सा उपाध्यक्ष। संजीव कुमार मैथ्यू ने बताया कि होली पर अपनी आंखों की देखभाल न करें। होली के अगले दिन कई लोग आंखों में जलन, दर्द और रोशनी कम होने की फरियाद लेकर आते हैं। ऍफ़. मिस्टर ने बताया कि आंखों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। कोशिश करें कि रंगीन के छींटें आंखों में न जाएं, इसके लिए धूप का चश्मा या डॉक्यूमेंट्री का इस्तेमाल गूगल पर करना चाहिए। आंखों में रंग का पाउडर लगाने से बचने के लिए आंखों में रंग का पाउडर लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि होली पार्टी का समय हमेशा प्राकृतिक और पौधे रंग के उपयोग के फायदेमंद रहता है। ये रंग आंखों के लिए होते हैं कम लालायित। उन्होंने बताया कि अगर आंखों में रंग आ जाए तो आंखों को टरंट साडा पानी से बेच दिया जाए और उन्हें रांगने की गलती न दी जाए। बिना नेत्र रोग विशेषज्ञ की सलाह के स्वयं अपने स्तर से औषधि न लें।

 

केमिकल कलर से खराब हो सकती है त्वचा–

त्वचा रोग विभाग के प्रमुख. नवीन कुमार कंसल ने बताया कि केमिकल कलर के इस्तेमाल से चेहरे पर जलन की समस्या कैसे होती है। यह केमिकल वाले रंग-मुंह में जाने से एलर्जी और एलर्जी की शिकायत के साथ-साथ चेहरा भी खराब हो सकता है। उन्होंने बताया कि त्वचा में जगह-जगह दाने निकलने, खुजली होने, त्वचा का लाल होने और त्वचा में जलन पैदा होने की समस्या होती है। अगर एलर्जी ठीक हो भी जाए तो त्वचा में लंबे समय तक निशान बने रहते हैं। इसलिए सावधानी बरतें गए प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलें और बिना किसी क्रीम या औषधि का उपयोग करें। त्वचा रोग विशेषज्ञ विशेषज्ञ. रीति भाटिया ने बताया कि आजकल बाजार में जो रंग उपलब्ध हैं उनमें से ज्यादातर में काई, पारा, सिलिका, अभ्रक और सीसे का मिश्रण होता है। इस प्रकार के पारंपरिक से नारियल या सरसों का तेल का सेवन होता है। त्वचा पर जब ये अच्छे तेल के प्रकार मौजूद होते हैं तो इस पर रंग आसानी से चढ़ता नहीं है और हमारी त्वचा को सीधा नुकसान नहीं होता है।

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