पुलिस छावनी में तब्दील हुआ शराब विरोधी धरनास्थल, कामयाब रही रैली
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मुनि की रेती, उत्तराखण्ड राज्य के 25 वे वर्ष की रजत जयंती के अवसर जिस राज्य का जन्म आन्दोलन के गर्भ से हुआ आज उसी राज्य में जँहा लोकप्रिय इंद्रमणी बडोनी का निवास ओर क्रान्ति चौक का ऐतेहासिक आंदोलन की भूमि में वर्तमान में शराब ठेके को लेकर तमाम नियमो को ताक में रखते हुये ज्ञान , वैराग्य ओर सन्तो की तपस्थली कुम्भ मेला क्षेत्र की पालिका परिषद पार्किंग में जनता के बिरोध के बाबजूद शराब का ठेका संचालित किया जा रहा है उससे हाल ही में हुई युवक की हत्या से आक्रोश व्याप्त होकर समूचे क्षेत्र में नशे के अवैध व्यापार को बंद करने का संकल्प लिया गया है लेकिन इसकी शुरुवात धर्म, अध्यात्म और सँस्कृति सहित तीर्थस्थली के रूप में विख्यात मुनि की रेती क्षेत्र में शराब के ठेके को बंद करने के लिये 14 दिनों से आमरण अनशन जारी है।वही सरकार और पूरी सरकारी मिशनरी इस ठेके को सरक्षंण प्रदान कर शराब बिक्री कराने में आमादा है।सरकारी तंत्र के माध्यम से इस आंदोलन को समाप्त करने के लिये तमाम हथकण्डे अपनाए गए है लेकिन उत्तराखण्ड की तर्ज पर ये आंदोलन स्वयं स्फूर्त होकर ठेके सहित उत्तराखण्ड को नशा मुक्त करने के लिये एकजुट हो गए है।
इस आमरण अनशन की शुरुवात कर्मयोगी विकास रयाल, सन्दीप भण्डारी ने अलख जगाने का कार्य किया और फिर करवा बढ़ता गया पुलिस आंदोलन कारियो को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर कुचलने का प्रयास ओर फिर जनता है कि मानती नही राजन बिष्ट, दिनेश मास्टर, सुरेंद्र कुड़ियाल वंदेमातरम आदि बारी बारी से आमरण अनशन कर अपना संकल्प पूरा करने में अपने जीवन को दांव लगाने के लिये तैयार है।वही साधु, सन्तो का समर्थन संजीवनी देने का कार्य कर रहा है।रजत जयंती उत्सव पर जँहा देहरादून में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी हिस्सा ले रहे है वही जो राज्य आंदोलन के कारण अस्तित्व में आया वँहा जनभावनाओं को कुचला जा रहा है।इसके विरोध स्वरूप आज उत्तराखण्ड रजत दिवस को शराब दिवस के रूप में रैली का आयोजन होना था प्रशासन ने इस धरने स्थल को छावनी में तब्दील कर मंच के अध्यक्ष हिमांशु बिजल्वाण को उनके घर से जबरन उठा लिया और पुलिस प्रशासन उन्हें कँहा ले गया इसकी कोई जानकारी नही दी गयी है वही सन्दीप भण्डारी को भी ठीक इसी प्रकार घर से उठा कर कँहा ले जाया गया है उसकी कोई जानकारी नही है।मुनि की रेती सदैव शान्त ओर सुरक्षित रहा है परन्तु आज रजत जयंती पर जगह जगह पुलिस आने जाने वाले लोगो पर निगाह गड़ाये देखी गयी।नगर के प्रमुख तिराहे, चौराहों पर पुलिस मुस्तेद दिखी ।आखिर पुलिस को ऐसा क्या भय दिखा ये चर्चा में है।प्रशासन की इस कार्यवाही की जानकारी जब स्थानीय लोगो को मिली तो जँहा पुलिस प्रशासन हल्का बल प्रयोग कर विफल करना चाहता था और फिर समूचे धरने स्थल को छावनी में बदल दिया गया।परन्तु जनता है जो बिना भय के धरने स्थल पर आ गयी जिससे पुलिस प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और जनता के आगे आंदोलनकारियों का संकल्प विशाल रैली में परिवर्तन होगया। आज के इस रैली ने उत्तराखण्ड आन्दोलन की याद ताजा कर दी जिसमे आज महिला, युवा और नगर के तमाम हजारों लोगों ने अपना समर्थन देकर सरकार के माथे पर भय की लकीर डालने का कार्य कर दिया।कुल मिलाकर आज जो जनता का भारी जनाक्रोश इस नशे के खिलाफ देखा गया है उसके परिणाम प्रदेश सरकार के लिये ठीक नही माने जा रहे है। हिमांशु बिजल्वाण ओर सन्दीप भण्डारी को उनके घर से उठने के बाबजूद भी कर्मयोगी विकास रयाल, ओमगोपाल रावत, दिनेश मास्टर, सुरेंद्र कुड़ियाल, नगर पालिका अध्यक्ष नीलम बिजल्वाण, राजन बिष्ट, सरदार सिंह पुंडीर, अनिता कोठियाल, सरस्वती जोशी, अनुराग पयाल आदि सहित उक्रांद, कांग्रेस, भाजपा के हजारों कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जताते हुए नशे के खिलाफ समर्थन दिया।नशे के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। हर हाल में ठेका समाप्त होगा और प्रदेश नशा मुक्त बने। आज की रैली जरूर शासन प्रशासन के लिए चिंता जनक होगी।जनभावनाओं का पालन अगर सरकार नही करेगी तो फिर प्रदेश में नए समीकरण की झलक देखने को मिल सकती है। इस सरकार के जनविरोधी कार्यो के कारण आज प्रदेश का रजत जयंती समारोह फीका साबित रहा है।

