October 7, 2025

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जिस जीवन में सत्य का आचरण न हो व भगवान का स्वरूप न दिखे वह जीवन सार्थक नही है व वह जीवन भगवत प्राप्ति नही कर सकता- आचार्य विनोद चन्द्र कंडवाल

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पौडी जनपद द्वारीखाल ब्लाक स्थित परसूली खाल में दयाकिशोर बिन्जोला एवं धनीराम बिन्जोला द्वारा अपने पूज्य पिता स्व0 लोकानंद बिन्जोला एवं पूज्य माता स्व0 श्रीमती जशीदा देवी व स्व0 रजत बिन्जोला पुत्र दयाकिशोर बिन्जोला के पुण्य स्मृति में आयोजित द्वितीय दिवस की भागवत कथा में कथा प्रवक्ता आचार्य विनोद कृष्ण कंडवाल ने अपने कथा प्रवचन में बताया कि जिस जीवन में सत्य का आचरण न हो व भगवान का स्वरूप न दिखे वह जीवन सार्थक नही है व वह जीवन भगवत प्राप्ति नही कर सकता।जीव का सबसे बड़े दुःख कारण तब बनता है जब वह भगवतस्वरूप से विमुख हो जाता है सत्कर्म करने व भगवान भजन से ही मोक्ष प्राप्ति हो सकती है स्वयं भीष्मपितामह को भी अपने किए बुरे कर्मो का फल बाणों की सरशैय्या में गुजारकर भुगतना पड़ा था। भागवत कथा का दूर दराज गांवो से आये पण्डित विवेकानंद,प्रेम चंद्र बिन्जोला,ललित मोहन बडोनी,सुनील काला,आशीष बडोनी,राजेन्द्र बिन्जोला,राहुल,विक्की,सुधाकर बिन्जोला,सुनील,इंद्र मणि बलूनी,भगवती प्रसाद बलूनी,खुशीराम बलूनी,ऋषि राम बलूनी, पृथ्वीधर काला,सतीश काला सुनीता देवी,रेखा,पूनम,नीलम देवी आदि अनेको श्रद्धालुओं ने श्रवण किया।

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