अंतराष्ट्रीय योग महोत्सव में विश्व स्तरीय लेखक , आध्यात्मिक गुरु ने शब्दो की व्याख्या कर बच्चों में परिवर्तन की बात की
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ऋषिकेश, अंतराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन मैन पण्डाल में अनेक भाषाओं के लेखक, कवि, आध्यात्मिक जन कवि उर्मिला पुत्र अक्षय गुप्ता ने अपने जीवन मे हम पर थोपे गए शब्दो को नकारते हुई अपनी संस्कृति, सभ्यता के अनुसार शब्दो को बोलना शुरू करें।आज देश मे 7 लाख गुरुकुल समाप्त होकर केवल 4 हजार रह गए है ।ये जानबूझकर सोची समझी रणनीति के तहत हम पर प्रहार हो रहा है जिसके सरक्षण की आवश्यकता है।
उन्होंने सबसे पहले योगाचार्य ओर योगसाधको के साथ मंच पर नही बल्कि उनके मध्य खड़े होकर शब्दो के महत्व को समझाया ओर सबसे निवेदन किया कि अब समय है कि सनातन को चिरजीवी बनाये रखने के लिये अपने अपने शब्दों को बदले ओर इसका प्रभाव खुद महसूस करे। हम प्रायः मैडम का प्रयोग कर गर्व महसूस करते है किन्तु ये शब्द पश्चिमी सभ्यता से हमारे को जबरन बोलने को दिया गया है इसका अर्थ जिस्म बेचना होता है और हम इस पर गर्व करते है इसी प्रकार हम औरत शब्द प्रयोग करते है जिसका मतलब स्त्री के एक गोपनीय अंग कहा जाता है इनसे परहेज करना चाहिए और हम देवी सम्बोधन कर नारी शक्ति का सम्मान कर उसको अबला नही सबला बनाने का कार्य कर सकते है।उन्होंने कहा मॉइथोलॉजी शब्द मिथ्या शब्द से आया है तो क्या हमारे राम ,कृष्ण, शिव , माँ दुर्गा आदि मिथ्या है ।अगर नही तो फिर इस शब्द का तिरस्कार कर सत्यालोजी कहे ओर अपनी सनातन सँस्कृति के लिये इस पवित्र मां गंगा के तट पर संकल्प लेकर विश्व को इसके महत्व को बताये।गर्व से कहे हम हिन्दू है और अपने नाम से पूर्व अपनी माँ का नाम लेकर अपने नाम का सम्बोधन करें।यही सत्य, सनातन, सँस्कृति पश्चिमी सभ्यता को खत्म कर अपनी पहचान का डंका विश्व पताका के रूप में फहराने का कार्य करेगी।