बासमती चावल से विश्व मे अपनी पहचान के लिये विख्यात रहा तपोवन, आज कंक्रीट का पहाड़ बन, स्थानीय निवासियों के लिये भविष्य में खतरा बन सकता है।
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-संजय बडोला रिपोर्ट-
एक आदर्श ग्राम सभा के रूप में अपनी हरित ओर कृषि पहचान जँहा का बासमती चावल विश्व मे अपनी पहचान के लिये विख्यात रहा है आज वही ग्राम तपोवन कंक्रीट का पहाड़ बन स्थानीय निवासियों के लिये भविष्य में खतरा बन सकता है।अब ये ग्राम सभा नही बल्कि नगर पँचायत का दर्जा बनकर इस पँचायत को पहली महिला अध्यक्ष प्राप्त हो गयी है। अब समस्या ये है कि वह कँहा से समस्या दुरस्त करे क्योंकि हर स्तर पर खामियां ही खामियां है।
इस नगर पँचायत क्षेत्र में कृषि की भूमि को समाप्त कर जगह जगह कंकरीट के विशाल भवन बना दिये गए है ।हाल ये है कि जितने मकान है उसमें भवन मालिक ने होम स्टे बना दिये है साथ ही योगा सेन्टर का निर्माण करा दिया है।हाल ये है कि अच्छे होटल और होमस्टे तो बने है किंतु अतिक्रमण इतना अधिक है कि सड़के भी खस्ता हालत में गम्भीर घटना को निमंत्रण दे रहे है।बात यही खत्म नही होती है नगर में नालियों का भारी अभाव और वर्षात में अगर बादल वृष्टि होती है तो तपोवन बहुत खतरे की जद में खड़ा दिख रहा है जिससे नुकसान किस कदर हो सकता है इसकी कल्पना से ही रूह कांपती दिखती है।
समस्या तो ये भी है कि अभी हम कोरोना बीमारी से सम्भल भी नही पाए है इसके अलावा मलेरिया, टाइफाईड, वायरल ओर अन्य बीमारियों का प्रकोप इस पर्यटन नगरी में फैल रहा है जिसके लिये किसी के पास इसकी रोकथाम के उपाय नही है।फिर ऐसे में तपोवन में जँहा मकान मालिक का परिवार और विदेशी पर्यटक एक साथ निवास कर रहा है तो ये समस्या बहुत जटिल है जिसकी वजह से सम्पूर्ण तपोवन आज नही तो कल किसी भी प्रकार की बीमारी की चपेट में आ सकता है जिसकी रोकथाम बहुत जरूरी है।
इसके अलावा होटल , होमस्टे तो बना दिये गए है परन्तु वाहनों के लिये पार्किंग स्थल ना होने, सड़को की खस्ता हालत , जगह जगह अतिक्रमण होने से पर्यटक ओर स्थानीय जन परेशान है परन्तु धन कमाने के लिये उनको आज ये परेशानी नजर नही आ रही है किंतु इतना तय है कि तपोवन के स्थानीय लोगो को जागरूक बनकर अपने ऊपर मंडराते खतरे को भांपते हुये अभी से एकजुट होकर योजना बनाकर नगर के अतिक्रमण, होटल और होमस्टे का पंजीकरण ओर निजी पार्किंग की अनिवार्यता, सड़को को दुरस्त, नालियों का निर्माण सहित वर्षात में भारी जलभराव की स्थिति को भांपते हुये उन स्थानों को चिन्हिकरण कर धरातल पर कार्य करने जरूरी है।नगर के विकास के नाम पर इस प्रकार का खतरा मोल लेना नगरवासियों के लिये उचित नही है।ये दवा कड़वी जरूर है लेकिन इसकी मिठास भविष्य में दिखाई देगी।नगर पंचायत एवं जिला प्रशासन समय रहते इस समस्या का हल निकाले का कार्य करे। वरना तपोवन स्पष्ट खतरे के मुहावने पर खड़ा है जो अप्रिय घटना की ओर इशारा कर रहा है।