नगर निकाय चुनाव से सीख जरूरी, पहले एकजुट हो फिर सियासत करे
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ऋषिकेश, नगर निकाय चुनाव का हल्ला गुल्ला ओर प्राप्त परिणाम से प्राप्त संकेत हर उत्तरखण्डी को समझनी जरूरी है। चुनाव में अमर्यादित शब्द बोलकर जीत दर्ज नही की जा सकती है उसके लिये जनता से जुड़ना ओर उनका दिल जीतना भी आवश्यक है।
चुनाव एक सतत प्रकिया है और भारतीय सँविधान को मानने वाला कोई भी व्यक्ति नियमो के अंतर्गत चुनाव लड़ सकता है।परन्तु इस बार चुनाव में सीमा रेखा का उलंघन राष्ट्रीय दलों की ओर से होना जनता को नागवार गुजरा है।कमोवेश जनादेश सत्ता दल के लिये शुभसंकेत नही है जँहा पूरी सरकारी मशीनरी का दुरुप्रयोग का आरोप जनता ने लगाया है।ऋषिकेश में सत्ता पक्ष को मिली जीत पर जनता साक्ष्यों के साथ आरोप लगाकर न्यायालय की शरण मे न्याय पाने को बेचैन दिख रही है।मुनिकी रेती में निर्दलीय उम्मीदवार को मिला प्रचण्ड जनसमर्थन का वेग तमाम राजीतिक समीकरणों को धाराशाही कर एक अगल पटकथा ओर इतिहास में दर्ज हो गया।साथ ही जनता ने निर्दलीय प्रत्याशी पर लगाये आरोपो को खारिज करते हुये उन लोगो को सबक सिखाने का कार्य किया है जो गलत शब्दों का जमकर प्रयोग कर माहौल बिगाड़ने का कार्य करते रहे।अब जनता ने इस पर अपनी मोहर लगाकर स्पष्ट जनादेश नगरहित की सेवा में निर्दलीय को दिया है।
स्वर्गाश्रम में काँग्रेस की श्रीमती अग्रवाल पर जनता का भरोषा उन्हें जिताने में सफल रहा जबकि तपोवन में भाजपा की श्रीमती बिष्ट ने जोरदार जीत के साथ अपने वार्ड सदस्यों को भी जीत की दलहिज तक पहुंचने का कार्य किया है।
नगर निगम ऋषिकेश में सरकार के लिये प्रतिष्ठा बने मेयर चुनाव में जो जहर ओर विधायक की भूमिका शोशियल मीडिया में वायरल हो रही है उससे जरूर इस चुनाव में धांधली होने की आहट दिखाई दे रही है जिस पर नगर की जनता आक्रोश में है।नगर निकाय चुनाव में हुए गलत कार्यो से जुड़े साक्ष्य सबूत के तौर पर एकत्र कर भू कानून एवं मूल निवास समिति न्यायालय में न्याय पाने के लिये रणनीति तय कर रही है।देखना है कि इसका क्या परिणाम ओर न्याय यँहा की जनता को प्राप्त होता है।परन्तु इतना तय है कि इस बार चुनाव सरकार के लिये शुभसंकेत नही बल्कि भविष्य की रणनीति ओर जनता से जुड़ने का इशारा जरूर कर रही है।