इस बार नरेंद्र नगर विधानसभा की लड़ाई कांटे की टक्कर साबित होगी
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नरेंद्र नगर विधानसभा एक ऐसी विधानसभा है जिसके हार -जीत का गणित मुनी की रेती, ढालवाला और तपोवन तय करती है जो प्रत्याशी क्षेत्र में बढ़त बना लेता है तो यह समझो किउसकी जीत भी लगभग तय मानी जाती है तथा क्षेत्र से लगातार वर्तमान विधायक सुबोध उनियाल का दबदबा रहा है लेकिन 2017 के चुनाव से वोट बैंक में सेंधमारी हो रही है जो इस बार के चुनाव में कांटे का मुकाबला साबित होगा तथा इस बार का गणित कुछ नए समीकरण दिखा रहा है l
अगर 2017 के चुनाव की बात की जाए तो सुबोध उनियाल के कुल 24 194 वोट में से क्षेत्र से 7453 वोट पड़े थे जबकि उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी निर्दलीय ओम गोपाल रावत को कुल वोट 19132 में से इस क्षेत्र में 4004 वोट पड़े थे जबकि इस बार रुझान सुबोध उनियाल के पक्ष में नहीं दिखाई दे रहा है l
2017 के चुनाव में पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष शिव मूर्ति कंडवाल, सुबोध उनियाल के पाले में थे और वर्तमान में चुनाव लड़े पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष उत्तम सिंह राणा के पुत्र योगेश राणा सुबोध उनियाल के साथ थे यही नहीं भाजपा की ए और बी टीम ने पुरानी भाजपा व नई भाजपा दोनों साथ थे पर इस बार के चुनाव में समीकरण कुछ भिन्न है भाजपा स्वयं में बिखर गई ,टीम सुबोध अभी भी उन्हीं के साथ है ,ज्यादा भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा से बाहर है और जो अंदर है ,वह भाजपा का साथ किस हद तक साथ देंगे ,यह कहना मुश्किल है l
नरेंद्र नगर विधानसभा हमेशा से ही केंद्र बिंदु में ओम गोपाल बनाम सुबोध उनियाल रहे है पर इस बार तीसरा कोण हिमांशु हो गया है जिन्होंने हाल फिलहाल दोनों की नाक में दम कर रखा है किंतु चुनाव आते-आते इस समीकरण त्रिगुणात्मक होंगे या फिर लड़ाई सिर्फ दो दिग्गजों के बीच हो गई यह अभी कहना मुश्किल है जहां तक उत्तराखंड क्रांति दल के प्रत्याशी सरदार सिंह पुंडीर का प्रश्न है तो वह आज भी दोगी पट्टी के दायरे तक सीमित हो कर रह गए हैं और अब रही बात विधानसभा की एकमात्र महिला प्रत्याशी पुष्पा रावत जिन्होंने बहुत ही कम समय में अपनी ओर जनता का ध्यान आकर्षित किया है इसका एक कारण है उनकी दमदार छवि बेबाक भाषा शैली ,पर वह चुनाव में वोटरों का ध्यान अपनी तरफ खींच पाएंगी यह कहना मुश्किल है? पर इतना जरूर है कि युवा चेहरा होने का लाभ मिल सकता है l
खैर चुनाव आते आते ‘ऊंट किस करवट बैठेगा’ यह कहना अभी मुश्किल है ,किंतु यह है कि इस बार नरेंद्र नगर विधानसभा की लड़ाई कांटे की टक्कर साबित हुई और जीत हार गए गणित बहुत कम अंतर से होगा