कैकई में मांगे दो वर, एक में राम को वनवास दूसरे में भरत को राज सिंहासन*
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*ऋषिकेश 08 अक्टूबर 2024*
वर्ष 1955 से स्थापित पौराणिक सुभाष बनखंडी श्री रामलीला में पंचम दिन भगवान श्री रामचंद्र माता कैकयी और पिता दसरथ की आज्ञा मानकर पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों के लिए वनों की ओर प्रस्थान करते हैं।
सुभाष बनखंडी स्थित रामलीला मैदान में पंचम दिन की लीला में श्रीराम वनवास दिखाया गया। कमेटी के अध्यक्ष विनोद पाल ने बताया कि अयोध्या में श्री राम के राजतिलक की तैयारी की जाती है। तभी कैकयी की दासी मंथरा षड्यंत्र रच कर केकई को बहला फुसलाने में सफल हो जाती है इसके बाद केकई को कोभ भवन में चली जाती है जिसके बाद राजा दशरथ के कई के निराश होने का कारण पूछते हैं।
इस पर कैकयी पूर्व में दिए गए दो वरों की याद दिलाती है और पहले वर में अपने पुत्र भरत को राजतिलक और दूसरे वर में श्रीराम को 14 वर्षो का वनवास मांग लेती है। इसके बाद श्री राम माता कौशल्या से आज्ञा मांगने जाते है तभी माता सीता भी वन जाने की जिद करती है, काफी समझाने के बाद भी नहीं मानने पर माता कौशल्या श्रीराम को सीता को भी अपने साथ ले जाने को कहती है। इसके बाद माता सुमित्रा से भी आज्ञा मांगने श्रीराम जाते हैं।
वहाँ लक्ष्मण, भरत को राजतिलक और श्रीराम को वनवास की बात सुनकर क्रोधित हो उठते है। इस पर श्रीराम उन्हें समझाते हैं। तब लक्ष्मण भी वन में साथ जाने की जिद करते है। इसके बाद श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण तपस्विनी वेशभूषा पहनकर वनों की ओर प्रस्थान करते हैं। यह दृश्य देख पंडाल पर मौजूद भक्तों की आंखों से अश्रु छलक जाते हैं।
इस मौके पर कमेटी के अध्यक्ष विनोद पाल, महामंत्री हरीश तिवाडी, हुकुमचंद, बाली पाल, अशोक मौर्य, सुरेंद्र कुमार, राजेश कुमार, सुभाष पाल, दीपक जोशी, ललित शर्मा, संजय शर्मा, मनमीत कुमार, मिलन कुमार, मनोज गर्ग, पवन पाल, लविश पाल, विनायक कुमार, मयंक शर्मा आदि सैकड़ो की संख्या में रामभक्त मौजूद रहे।