24 साल बाद भी उत्तराखण्ड भू कानून और मूल निवास के लिये संघर्षरत
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ऋषिकेश, बड़ी विचित्र विडम्बना है कि उत्तराखण्ड 24 साल बाद भी अलग राज्य निर्माण होने के बाद भी अपने अस्तित्व ओर भू कानून सहित मूल निवास प्रमाण पत्र के लिये लड़ाई लड़ने को मजबूर है।29 सितम्बर 2024 को इस विषयक ऋषिकेश आई डी पी एल से ऋषिकेश त्रिवेणी घाट तक महारैली निकालकर अपना आक्रोश व्यक्त कर अपने जल जंगल जमीन सहित अपने हक हकूक की माँग सरकार से कर रहा है।
अब सवाल ये उठता है कि आखिर कार उत्तराखण्ड के जनमानस को अपनी सरकार अपने मंत्री, विधायको से अपने हक हकूक को चाहने के लिये 24 साल बाद भी सड़को में लड़ाई लड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है जिसको उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा।इन 24 सालों में जनता को क्या मिला ना उनकी आवश्यकताओ की पूर्ति, ना पीने का पानी, ना जंगल, ना भूमि का हक मिला।इसके अलावा पलायन की समस्या का अंत हो पाया।इससे ज्यादा क्या हो सकता है कि उत्तराखण्ड के मूल निवासी को मूल निवास की सुविधा ना मिले उसे भी स्थाई निवास प्रमाण पत्र दिया जा रहा है जो एक मूल उत्तरखण्डी का घोर अपमान और बाहरी तत्वों को यंहा स्थाई निवास प्रमाण पत्र देकर सरक्षंण प्रदान करना किसी भी दशा में उचित नही है बल्कि शहीदों ओर राज्यआन्दोलनकरियो का अपमान और सरकार की मंशा पर सवालिया निशान जरूर है इसका खामियाजा मूल उत्तरखण्डी भुगत रहा है उसका आने वाला भविष्य सुरक्षित नही है। 24 साल के बाद जनता कुम्भकर्णी नींद से जागी है और फिर एक बार बड़ी संख्या में जनमानस इस मामले में मुखरता के साथ सड़को पर लामबंद हुए है जिसका 29 सितम्बर 2024 को विशाल महारैली के रूप में परिदृश्य देखने को मिलेगा।किन्तु वही दूसरी ओर कुछ सियासत दान अपनी राजनीति से बाज नही आ रहे है और तरह तरह की भ्रांतिया फैलाकर इस महारैली को नुकसान पहुंचाने का कुत्सित प्रयास कर रहे है परन्तु उनके मंसूबे कामयाब नही होंगे ये तय है।
13 जनपद का ये छोटा प्रदेश जँहा अपने ही जनप्रतिनिधि चुनकर आये है और सभी को यंहा की समस्याओं और आवश्यकताओं का ज्ञान होने के बाबजूद भी समस्या का निराकरण नही बल्कि जटिल कर जनता के साथ धोखा है।इस मामले में भाजपा ,कांग्रेस, उक्रांद भी अछूती नही रही है । ऐसे में सपा बसपा की बात करना बेकार है क्योंकि उनका इस मामले में कोई सरोकार नही है और जनता ने उन्हें स्वीकार नही किया है। क्षेत्रीय दल के रूप में यू के डी का जनता के प्रति रवैया बिल्कुल नकारात्मक ओर सत्ता की रेवड़ी पाने भर का रहा है।
अब की बार अपने भू कानून और मूल निवास की पैरवी के लिए जनता के निकले कदम सरकार को सीधे चेतावनी है।ये जनता का मौलिक हक है उसको बाहरी लोगों को प्रदान करना किसी भी दशा में मंजूर नही है ।यंहा के जल जंगल जमीन पर यंहा के मूल निवासियों है हक दुसरो को प्रदान कैसे कराया जा रहा है सरकार से सवाल है।इसका यंहा के मूल निवासी किसी भी स्तर तक जाके विरोध करेंगे।
इस सम्बंध में 29 तारीख को निकलने वाली महारैली में कई संस्थाओं, व्यापारियों और जनता का व्यापक सहयोग हर स्तर पर प्रदान किया जा रहा है ये ऎतिहासिक महारैली का असर सरकार पर क्या पड़ता है उसके लिए इंतजार करना पड़ेगा।परन्तु इसका व्यापक असर सरकार के भविष्य पर पड़ने वाला दिखाई दे रहा है।सरकार के आगे कुआं ओर पीछे खाई है।