November 5, 2025

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कर्मयोगी विकास रयाल ओर मास्टर दिनेश समूचे उत्तराखण्ड में चर्चा में आये। नशा बंदी उनका संकल्प

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मुनि की रेती, आजकल बिना कार्य कार्य किये व्यक्ति ख्याति पाने के लिये तरीके इजहार करता है परन्तु अचानक चर्चा में आये कर्मयोगी विकास रयाल पिछले 10 दिन से नशे के खिलाफ कुम्भ मेला पार्किंग, धार्मिक सन्तो की तीर्थस्थली पर जनता के विरोध के बाबजूद भी मद्य निषेध क्षेत्र में जबरन शराब का ठेका मानकों की अनदेखी कर संचालित किया जा रहा है और शासन ,प्रशासन इस ठेके पर पुलिस की भारी भरकम फ़ौज खड़ी कर शराब की बिक्री करने में आमादा है।इसके विरोध में कर्मयोगी विकास रयाल 10 दिन से आमरण अनशन पर डटे है।उनका कहना है कि ठेके ओर नशा खत्म होने पर ही वो अपना आमरण अनशन समाप्त करेंगे अथवा अपना जीवन समाप्त कर देंगे।ठीक ऐसा ही मास्टर दिनेश जो अधिक उम्र के कारण स्वास्थ्य कारणों से गुजर रहे है परन्तु इस प्रकरण पर वो भी 7 दिवसीय आमरण अनशन पर डटे है जबकि स्वास्थ्य कारणों से राजस्व ओर पुलिस की टीम ने रात्रि में उन्हें जबरन धरने स्थल से स्वास्थ्य कारणों से उठा लिया लेकिन उनके बुलंद हौसले ओर अपने सर की टोपी का अपमान होने पर उन्होंने एम्स पहुँचकर राजस्व ओर पुलिस प्रशासन की हेकड़ी निकाल दी मजबूरन उनकी टोपी धरने स्थल से सम्मान के साथ एम्स लाकर उन्हें दी गयी तब उनको एम्स में डॉक्टर के पास ले जाया गया जँहा डॉक्टरी निरीक्षण के बाद उन्हें स्वस्थ्य करार दिया गया केवल बी पी थोड़ा अधिक पाया गया। उन्होंने किसी भी प्रकार की दवाई, ड्रिप आदि के सेवन से मना कर दिया ओर अपनी धनराशि से दवाई आदि लेने से इन्कार कर दिया।जिससे उन्हें वँहा भी कार्यरत स्टाफ का समर्थन मिला जिससे मास्टर जी का हौसला बढ़ गया और केवल एक इन्जेक्शन लगाकर वो प्रातः धरना स्थल पहुंचकर अपना आमरण अनशन शुरू कर प्रशासन के लिये मुसीबत बने हुए है।ये दोनों कर्मयोगी प्रेणादायक है और युवाओं को इनसे सीखने की जरूरत है कि अगर इरादे मजबूत हो तो उम्र सहित कोई भी समस्या नेक कार्यो में बाधा नही बन सकती है।उल्लेखनीय है कि युवा सन्दीप भण्डारी भी विकास रयाल के साथ शुरू में आमरण अनशन पर बैठे और फिर राजन बिष्ट भी लेकिन स्वास्थ्य कारणों से पुलिस ने उन्हें जबरन उठा लिया ।उसके बाद अभी तक वो धरने में तो शामिल है लेकिन आमरण अनशन पर नही बैठे है।

कर्मयोगी विकास रयाल मूल रूप से गुलर दोगी के निवासी हाल श्यामपुर में रहते है ।विशंभर दत्त मैमोरियल स्कूल गूलर दोगी के माध्यम से शिक्षा का उन्नयन कर बच्चों का भविष्य सुधारने ओर भविष्य को नशे की लत से बचना उनका संकल्प है।ठीक इसी प्रकार मास्टर दिनेश देवप्रयाग के निवासी ओर वो भी ऋषिकेश में रह रहे है।ऋषिकेश नगर निगम में मेयर सीट का चुनाव लड़कर काँग्रेस ओर भाजपा को अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया ।सरकारी मशनरी के कारण उनको हराया गया लेकिन मास्टर जी का कद काफी बढ़ गया है। इन दोनों समाजसेवी ओर पहाड़ के लिये कुछ अच्छा करने की चाहत ओर समूचे क्षेत्र में नशे के पूर्ण अवैध व्यवसाय को जड़ से खत्म करने को अपना जीवन दाव पट लगा दिया है ।ये असली वीर , महारथी ओर हर किसी के लिए प्रेणादायक है।जिन्हें पहाड़ का हर व्यक्ति, मातृ शक्ति, युवा शक्ति और न्याय प्रिय जन आदर देते स्वर्ण अक्षरों में अंकित रखते हुए चिरंजीवी होने का शुभ आश्रीवाद देते है।ऐसे कर्मवीर निडर जुझारू योद्धाओं को उत्तराखंडी का सैल्यूट।

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