उत्तराखण्ड पर्यटन की रीढ़ गढ़वाल मण्डल विकास निगम 50वी वर्षगाँठ पर पर्यटन के विभिन्न आयामो को बढ़ावा देने को संकल्पित किन्तु यँहा की सँस्कृति, परम्परा को नुकसान पंहुचाये बिना
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जी.एम.वी. एन गोल्डन जुबली वर्ष पर विशेष लेख
(भारत भूषण कुकरेती वरिष्ठ सदस्य प्रेस क्लब मुनि की रेती एवं संजय बडोला सम्पादक)
उत्तराखण्ड का इतिहास जितना विशाल समृद्दि शाली एवम विराट स्वरूप लिये है ठीक उतना ही गढ़वाल मण्डल विकास निगम लिमिटेड का गौरवशाली इतिहास तीर्थाटन, सांस्कृतिक, मार्केटिंग ओर स्थानीय युवाओं को पलायन से रोकने में प्रदेश के रीढ़ की हड्डी के रूप में अविरल सेवाएं प्रदान कर रही है।आज 31 मार्च को गढ़वाल मण्डल विकास निगम की स्थापना दिवस पर जब निगम अपनी गोल्डन जुबली वर्ष मना रहा है तो फिर इसके इतिहास को जानना ओर समझना युवान साथियों के लिये जरूरी है। विचित्र संयोग है कि निगम जँहा 50 वे वर्ष पर प्रवेश कर रहा है वही इस निगम के 50 वे नियोक्ता के रूप में युवा प्रबन्ध निदेशक विशाल मिश्रा निगम के विभिन्न आयामो में सरलीकरण,स्थानीय जनो की भागीदारी, तीर्थाटन की सनातन सँस्कृति की ध्वज पताका को कोई नुकसान ना हो और इस उत्तराखण्ड में पर्यटन की साहसिक, रोमांचक और इक्को, मेडिकल , योग, अध्यात्म आदि सभी एक्टिविटीज के लिये दिन रात मेहनत कर प्रदेश की आर्थिक उन्नति और युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार देकर पलायन को रोकना उनके कुशल नेतृत्व को प्रदशित करता है।
निगम का इतिहास पर दृष्टिपात करे तो सन 1973 में उत्तर प्रदेश राज्य का अंग होने के कारण यँहा के चौमुखी विकास की अवधारणा जल जंगल जमीन के अस्तित्व को बचाने की कवायद के लिये पर्वतीय विकास मंच का गठन यहाँ की भौगोलिक, सांस्कृतिक, सभ्यता और रहन सहन, वेशभूषा को सरंक्षित किये जाने और यँहा के जनमानस के स्वाभिमान, आत्मनिर्भर ओर जागरूकता प्रदान करने , युवाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराए जाने के लिये गठन किया गया।परन्तु गढ़वाल ओर कुमाऊँ का सामंजस्य इसमें बाधा बनता नजर आया और फिर हिमालय के सपूत हेमवती नन्दन बहुगुणा ने सामंजस्य को बनाये रखने के लिये 2 निगमो की स्थापना 1976 में कर दी जिनमे उत्तराखण्ड के केदारखण्ड के 5 जनपद को गढ़वाल मंडल विकास निगम और दूसरे मानस खण्ड कुमाऊँ के 3जिलों को कुमाऊँ मण्डल विकास निगम में तब्दील कर विकास की नई नींव डाली गई।उत्तराखण्ड के चार धाम यमनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ ओर बद्रीनाथ तीर्थाटन के रूप में विश्व के मानचित्र में अंकित है और इस यात्रा का संचालन विषम परिस्थियो में संसाधनों के अभाव के बाद भी निगम स्तर से सफलता से संचालन किया जाना इसकी कुशलता ओर सफलता का सबसे बड़ा प्रमाणपत्र है।समय के साथ साथ निगम ने अपने पर्यटकों को दी जाने वाली सेवाओं में विस्तार कर उत्तराखण्ड के इतिहास को स्वर्णिम अक्षरों में विश्व के सामने प्रस्तुत किया है। इस दिशा में निगम स्तर से नित नए प्रयोग कर आपदाओं को सम्भावनाओ में बदला जाए इस पर नए प्रबन्ध निदेशक विशाल मिश्रा और महाप्रबंधक पर्यटन दयाशंकर सरस्वती का विशेष फोकस है।
निगम की स्थापना का मूल उद्देश्य जटिलता को समाप्त एवं समानता मूलक प्रदेश का विकास और यँहा के भौगोलिक कठनाइयों का दमन हो सके।निगम तीर्थाटन , मार्केटिंग, उद्योगिक करण ओर निर्माण का स्वत:ढाँचा अपने अनुरूप निर्मित कर सके ।ये निगम सरकार के उपक्रम के रूप में जिसका संचालन नियोक्ता के रूप में प्रबन्ध निदेशक को तय करना था जो अपने संसाधनों का स्वयं बढ़ाते हुये अपनी उन्नति का मार्ग प्रस्थत कर यँहा के लोगो का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मजबूती प्रदान करे।साथ ही लाभ अथवा हानि की हालत में अपनी गतिविधियों में सुधार लाकर यँहा के जल ,जंगल, जमीन सहित तमाम हक हकूक ओर अपने यँहा खेती से हुई पैदावार को खरीदकर स्थानीय लोगों की आर्थिक मदद कर सकने में योगदान दे।निगम के इतिहास पर अगर वर्ष 1976 से लेकर वर्तमान नियोक्ता तक का सफर ये बताने को काफी है कि देश के कई प्रतिलब्धित वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी निगम को अपनी सेवाएं देकर इस निगम की मजबूत नींव डाल गए है यही वजह है कि अनेक आपदाओं के बाबजूद जबकि प्रदेश का पर्यटन बाजार शून्य प्रगति में रहा है और ऐसी स्थिति में निगम ने अपनी साख को मजबूती प्रदान करते हुई अपने पास आई धनराशि यात्रा संचालन हो या कोरोना संक्रमण रहा है पर्यटक का शत प्रतिशत धनराशि जो करोड़ो में रही है उसको रिफण्ड करने का कीर्तिमान स्थापित कर स्वयं को भी पहले से अधिक मजबूत स्थिति प्रदान कर अपनी बेहत्तर सेवा में लगातार इजाफा किया है। इसके अलावा निगम प्रदेश की सँस्कृति एवं सभ्यता के अलावा खेलकूद में भी अपनी अग्रणीय भूमिका का निर्वहन करता आया है और मुनि की रेती में कई वर्षों तक रामलीला का सफल मंचन, नरेंद्र सिंह नेगी गढ़ रत्न सहित क्षेत्र के लोकगायकों का मंचन कराकर अपनी संस्कृति, खानपान, वेशभूषा से देश विदेश को रूबरू कराकर सत्य सनातन का प्रचार प्रसार किया।
निगम प्रबन्ध निदेशक के रूप मे एच .सी डबराल प्रथम,बी .बी झलड़ियाल पी .सी एस,रीता सिन्हा IAS,एस .सी बहुखंडीPCS,रजत कुमार, आलोक सिन्हा IAS,प्रताप सिंह राजा रामPCS, जी पटनायक, दीपक सिंघल, एस, पी सिंह, जे पी शर्मा, आर के सिंह, राजीव गुप्ता, अनूप पाण्डे, राकेश बहादुर, वी. एम मधवाल IAS,एच. सी जोशीPCS,आर .के वर्मा,उमाकांत पँवार, उत्पल कुमार सिंहIAS,ए. एस नबियालPCS,अमित कुमार घोषIAS, अनिल कुमार शर्माPCS, विनोद कुमार पाठकIAS, कुँवर राजकुमारPCS सहित निगम में IAS प्रमोट होने पर निगम के 27 ओर29 वे प्रबन्ध निदेशक रहे।28 वे प्रबन्ध निदेशक आनन्द बर्द्धन, ए. एस नयाल, नीरज सेमवाल, बी बी आर सी पुरूषोत्तम, ड़ी सैंथिल पांडियन, आशीष जोशी, रविनाथ रामन, एस ए मुरुगेशन, डॉक्टर पंकज कुमार पाण्डेय, आर राजेश कुमारIAS, डॉक्टर आनन्द श्रीवास्तवPCS,सी सी रविशंकर, अतुल कुमार गुप्ता, ज्योति नीरज खैरवाल,ईवा आशीष श्रीवास्तव,डॉक्टर आशीष चौहान, स्वाति एस भदोरिया, वंशीधर तिवारी, विनोद गोस्वामी, प्रशान्त आर्य के अलावा वर्तमान में युवा आई ए एस विशाल मिश्रा ने हाल ही 19 दिसम्बर 2024 कोनिगम प्रबन्ध निदेशक का दायित्व ग्रहण कर विगत वर्षों से निगम की अन्तराष्ट्रीय योग महोत्सव का जिस प्रकार अपने नेतृत्व में सफलता पूर्वक संचालन कर स्थानीय जनता और युवाओं को जोड़ने की पहल की है जिसकी स्थानीय लोगो ने जमकर तारीफ की है। निगम को एक दिन के प्रबन्ध निदेशक के रूप में राजा राम23.11.1982 से 24.11.1982 तक अपनी सेवाएं प्रदान कर इस सूची में सम्मिलित हुये।वही कुंवर राजकुमार जोPCSओर IAS प्रमोट हुये उनके द्वारा तीन बार निगम प्रबन्ध निदेशक 14 दिसम्बर2004 से 04 मई2005 एवं05 मई 2005 से 27 फरवरी 2006 सहित 30 अक्टुबर2006 से 23 जनवरी 2007 तक अपनी सेवाएं देकर तीन बार प्रबन्ध निदेशक के पद पर कार्य कर सबसे अधिक रहने का कीर्तिमान स्थापित किया।
निगम के वर्तमान प्रबन्ध निदेशक पर्यटन को अग्रणीय बनाने के लिये सभी गतिविधियों पर नजर बनाकर निगम स्तर और भावी नवीन योजनाओं को गति प्रदान करने के लिये अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को निर्देश देकर आगामी यात्रा जो 30 अप्रैल से शुरू हो रही है उसको दुरस्त ओर आने वाले पर्यटकों को कोई असुविधाओं का सामना ना करना पड़े इस बात को लेकर चार धाम यात्रा मार्ग में पड़ने वाले आवास ग्रहों से समन्वय स्थापित कर सभी सुविधाओं को पूरा करने की मुहिम युध्द स्तर पर अपने अधीनस्थों के माध्यम से पूर्ण कराने को लेकर नजर बनाए हुये है।इस बार यमनोत्री एवं गंगोत्री के कपाट 30 अप्रैल, भगवान केदारनाथ के कपाट 02 मई सहित भगवान बद्रीनारायण धाम के कपाट 04 मई 2025 को श्रद्धालुओ हेतु विधिवत रूप से 6 माह दर्शन हेतु खुल जाएगा
शुभ सन्देश

निगम टीम के समस्त परिवारिक जनो को निगम के गोल्डन वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाये ओर बधाई देता हूँ।आपकी लग्न, मेहनत और ईमानदारी पारदर्शिता के कारण निगम पर्यटन की विभिन्न आयामो को स्थापित कर सेवा सुचिता से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।वर्ष 2025-26 में निगम को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर ओर पर्यटकों को बेहत्तर सेवा प्रदान करने का सामूहिक लक्ष्य उत्तराखण्ड की प्रगति के लिए सुनहरे अवसर प्रदान करेगा।आशा है आप निष्ठा, लग्न ओर मेहनत से तमाम बाधाओं को अवसर में बदलने का कार्य करेंगे”*
विशाल मिश्रा
प्रबन्ध निदेशक
GMVN

