शम्भू पासवान को जितना, ओर पहाड़ के लोगो का रोष, प्रेमचंद अग्रवाल को ले डूबा
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पहाड़ बनाम मैदान की लड़ाई में आखिरकार प्रेमचंद अग्रवाल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा जिसकी कई वजह हो सकती हैं , किंतु एक वजह है ऋषिकेश में मेयर के पद की लड़ाई । जिसके कारण पहाड़ बना मैदान की लड़ाई शुरू हुई और उसका पहला विकेट खुद प्रेमचंद के रूप में गिरा और अब कितने विकेट गिरेंगे या यूं कहें की इस लड़ाई की गाज किस-किस पर गिरेगी यह भविष्य के गर्त में छिपा है, । ये स्पष्ट है कि पहाड़ आज जीत गया है उन्होंने ये अवगत करा दिया है कि पहाड़ का व्यक्ति गाली देने वाले को भारी दण्ड देता है।आज साबित कर दिखाया है।
ऋषिकेश मेयर का चुनाव,जो की पहाड़ बनाम मैदान बना और यह लड़ाई अब तक चली आ रही है उधर प्रेमचंद की दूसरी गलती विधानसभा में अपने बयान में पहाड़ के लोगो को ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जिसने की आग में घी डालने का काम किया और आखिरकार उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा । इस चुनाव की ये लड़ाई पहाड़ बनाम मैदान मे बदलती दिखाई दी है जिससे जनता में भारी रोष व्याप्त रहा है। पहाड़ की जनता ने सदैव दूसरे अन्य राज्यो के लोगो को अपने यहाँ शरण ही नही दी,बल्कि व्यापार आदि करने की खुली छूट दे रखी है बाबजूद इस प्रकार का कृत्य नफरत फैलाने वाला और पहाड़ के स्वाभिमान के खिलाफ कहा जा सकता है।
अब यह लड़ाई 2027 के चुनाव में क्या गुल खिलाएगी यह कहना तो अभी मुश्किल है लेकिन यह लड़ाई पहाड़ बनाम मैदान का रूप लेगी यह सुनिश्चित है।आज ही देहरादून मैदानी मंच ने कल देहरादून बंद करने सहित सरकार से मन्त्री प्रेमचंद अग्रवाल को वैश्य समाज का प्रतिनिधि बनाने की माँग करते हुई उनका इस्तीफा स्वीकार ना करने की अपील की है।अब देखना ये है कि कल राजधानी देहरादून में इसका क्या असर दिखाई देता है जबकि दूसरे पक्ष में खुशी की लहर ओर जगह जगह दीपावली ओर होली मनाए जाने की खबर मिल रही है।