मंत्री प्रेमचंद की अमर्यादित टिप्पणी ओर ऋतु खण्डूरी का दोहरे मापदण्ड से मचा बबाल।पुतले फूँके।
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:ऋषिकेश, उत्तराखण्ड प्रदेश के संसदीय, विधयिका, वित्त एवं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा पटल पर पहाड़वासियों के खिलाफ जो अभद्र टिप्पणीया की है उससे उत्तराखण्ड के जनमानस का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है।मन्त्री का यह गैर जिम्मेदार बयान से उत्तराखण्ड की विधायिका शर्मसार हुई है।वही विधानसभा को चाल चरित्र मर्यादा का पाठ पढ़ाने वाली विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खण्डूरी की भूमिका सन्देहास्पद बनती दिख रही है।जिसकी सर्वत्र निन्दा होती दिख रही है।
अक्सर देखा गया है कि श्री अग्रवाल अपनी हरकतों से चर्चा पर बने रहते है।अभी हाल में निकाय चुनाव में इनके माध्यम से अपने लोगो को शर्म घर पर छोड़कर बेशर्म होने और कुछ भी गलत कार्य करने की खुली छूट देकर उन्हें कहा गया कि वो उनके साथ है उन्हें कोई नुकसान नही होने देंगे।खुद पहाड़ ओर मैदान का भेद कराते है जो हम डंके की चोट पर कह सकते है कि असली गुनाहगार ये खुद है।अगर पहाड़ का वासी पहाड़ की बात करता तो ये चार बार मन्त्री विधायक नही बनते। हद तो तब होती है जब विधानसभा में ये अपना आपा खो देते है और पूरे पहाड़ी समाज को गाली देते है और इससे भी शर्मनाक निन्दनीय विधानसभा के अध्यक्ष ऋतु भूषण खण्डूरी की चुप्पी रही है उन्हें तत्काल इस पर रोक लगाकर मामले का निस्तारण करना चाहिए था ।प्रेमचंद अग्रवाल का ये कहना कि पहाड़ में मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि से लोग आए है कोई पहाड़ का नही है ये हिम्मत तुम्हारे पास कँहा से आई।ये मुल्क पहाड़ के मूल पुश्तेनी जनो का है जिसमे उनका ओर उनके परिवार का हक है।तुम यँहा के मूल नही है ये तुम्हे भी पता है।पहाड़वासियों का दिल कितना बड़ा है कि तुम्हे अपने हक हकूक से फायदा लेने दिया गया और तुम उन्हें ही गाली देते है।पहाड़ शब्द से तुम इतने को पगला जाते हो क्या उत्तर प्रदेश में रहने वाला यू.पी, बिहार में रहने वाला बिहारी, मुंबई में रहने वाला महाराष्ट्रीयन, पंजाब में रहने वाला पंजाबी, राजस्थान में रहने वाला राजस्थानी आदि आदि नही बोले जाते है तो फिर पहाड़ में जन्म और मूल निवासी पहाड़ी क्यो नही कह सकता है।इस बात से तुम्हे परहेज है तो फिर आप स्वत्रन्त्र है देश विदेश में आपके लिये दरवाजे खुले है।पहाड़ पर सबसे पहले पहाड़वासियों का हक है इसीलिये हमने राज्यान्दोलन की लड़ाई लड़ी किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण विषय है कि इस राज्य की सत्ता में तुम जैसे पहाड़ विरोधी काबिज हो गए है और देवभूमि को कलकिंत करने का कार्य कर रहे है। विधानसभा के पटल पर बेलगाम मन्त्री के बिगड़ैल बोल को खुलेआम सरंक्षण देना और जो इसके विरोध में आपत्ति दर्ज कर मन्त्री को सजक रहने को कहे उसको जबरन बैठने को बोला जाता है।ऋतु खण्डूरी तुम्हारे माता , पिता, भाई पहाड़वासी है उन्हें भी गाली दी गयी आपने कैसे बर्दाश्त किया ये तो आप ही जाने की आपकी ओर भाजपा के विधायकों की क्या मजबूरी है जो इस प्रकार की निक्कमी हरकतों पर आप चुप्पी साधकर सरंक्षण प्रदान कर उत्तरखण्डी पहाड़ियों का अपमान कर रहे है।अभी तो भाजपा और मन्त्री के पुतले जलाकर आक्रोश पूरे प्रदेश में शुरू हो गया है।क्या भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री इसका संज्ञान लेकर कोई ठोस कार्यवाही करेंगे जनता टकटकी लगाए है।अगर ऐसा नही होता तो फिर प्रदेश के समीकरण जो बन रहे है वो भाजपा के पत्तन की पटकथा बनती दिखाई दे रही है।इस बार जनता मन्त्री को माफी नही बल्कि निर्णायक मोड़ पर कार्यवाही के लिये कटिबध्द है।