निर्दलीय उम्मीदवारों ने राष्ट्रीय दलों के दाँत खट्टे किये,हताशा ओर निराशा में जीत की मुख्यमंत्री से आशा।
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मुनि की रेती। नगर निकाय चुनाव ऋषिकेश हो या मुनि की रेती जँहा निर्दलीय मास्टर दिनेश ओर नीलम बिजल्वाण ने राष्ट्रीय दलों की नींद हराम कर दाँत खट्टे कर दिए है। राष्ट्रीय दल जँहा लाव लश्कर ओर हर सुविधाओ से सुसज्जित होने के बाद भी ट्रिपल इंजन की सरकार होने के वावजूद भी मतदाताओं से वोट नही माँग पा रहे है वही बिना धन, बल के निर्दलीय प्रत्याशी को जनता धन भी दे रही है और अपना भरपूर समर्थन बदलाव के लिये दे रही है।
इस चुनाव में राष्ट्रीय दल बिगड़ैल बोल बोलकर चुनाव फिजा को बिगाड़ने की कोशिश में लगे है किन्तु जनता समझदार इनकी हरकतों को देख ओर समझ रही है।जनता ने 4 बार विधायक बनाया तो इन्हें क्षेत्रवाद नही दिखा किँतु जब उन्होंने अपने बीच से योग्य, शिक्षित, ईमानदार और जनता के लिये दिन रात समर्पित मास्टर दिनेश को मैदान में उतारा है तो फिर क्षेत्रवाद नजर आने लगा।जनता का कहना है कि अगर ये सब होता तो तुम 4 बार के विधायक , मन्त्री नही बन पाते। सियासत में तोल मोल के बोलना चाहिये।
उत्तराखण्ड की लड़ाई यँहा के मूल निवासियों के विकास के लिये लड़ी गयी ना कि अन्य राज्यो से आये लोगों की लाभ दिये जाने के लिये लड़ी गयी।पहाड़ का जनमानस उदार और बहुत व्यापक दिल का है जिसने अतिथि देवो भव की तर्ज पर सदैव सबका सम्मान किया ।तो फिर बेबुनियादी आरोप आपकी मंशा को पूरा नही होने देंगे।नगर निकाय चुनाव में आप अपनी तमाम बडी शक्ति को लाकर जनता के दिलों को नही जीत सकते है।क्योंकि साफ दिख रहा है कि इस बार ऋषिकेश, मुनि की रेती-ढालवाला में जनता निर्दलीय उम्मीदवार को जिताने का मन बना चुकी है। सवाल तो ये भी है कि इस चुनावी रण में दल विशेष विजन, मुद्दों पर बात नही कर रहे है ।बात अरसे, रोट सहित दामाद ओर बहु बनने तक वायरल की गई है जिसका चुनाव से कोई लेना देना नही बल्कि इन बातों से कहने वालों को ही नुकसान पहुँचा तय है। सूत्रों से खबर ये भी मिली है की कल रात भाजपा में अपने ही बीच 2 गुटों में जबरन मारपीट को दौर चला तो फिर जनता को कैसे अपने पक्ष में मतदान करने के लिये मना पाओगे।अभी तक के विश्लेषण से जो तस्वीर नजर आ रही है उनमें निर्दलीय उम्मीदवार बाजी मारते दिख रहे है।
कल मुख्यमंत्री अपने उम्मीदवार के पक्ष में चौदह बीघा में मतदाताओं को रिझाने ओर भाजपा के पक्ष में वोट की अपील करेंगे।इसका कितना प्रभाव चुनाव पर पड़ता है ये अभी गर्भ मेंछुपा है।वही नगर की जनता का कहना है कि नगर निकाय चुनाव में केंद्र और राज्य सरकार का लेना देना नही है।अपना पूर्व हिसाब तो , खुली डिवेट कर मुद्दों पर बहस हो।इस बार जनता बदलाव की पक्षधर है।