अजेय, नीडर स्वाभिमानी व संत के रूप में याद किए जाएंगे नंद किशोर शर्मा
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अजेय, नीडर स्वाभिमानी इर उत्तराखण्ड का सच्चा ईमानदार जिसको सरकारों ने तोहफे देने के बजाय परेशान करा । उसने अपने खिलाफ खुद विजीलेंस जाँच करने को कहा और स्पष्ट कहा कि अगर कही गलत कार्य हुआ है तो कठोर दण्ड के साथ रिकवरी भी कर ली जाय ,किन्तु उनके सेवानिवृत्त होने के दो साल बाद भी उन पर कोई दाग नही लगा बल्कि वो अब्बल साबित होकर निकलते गए।
अपने ही राज्य में उन्हें गलत कार्यो ओर कानूनन जो कार्य नही किये जा सकते है उन्हें मन्त्रियों ओर आलाअफसरों के लाख कहने के बाद भी पूरी कानूनी प्रकिया का पालन कर उसको किया गया। जो मन्त्रियों इन आला अफसरानों को नागवार लगा और फिर एक साथ उन्हें फंसाने की मुहिम में लग गए।किन्तु कहते है कि सत्य कभी परास्त नही होता है । श्री शर्मा भी मैदान ने अकेले अर्जुन की तरह डटे मुकाबला कर इनकी साजिश नाकाम करते रहे।इनको भली भाँति अवगत होना चाहिए था कि जिसने अपने पैतृक संपत्ति और कमाई गयी पूंजी को धार्मिक कार्यो के लिये दान कर खुद मन्दिर के पास एक कक्ष में सन्त, फकीर की तरह रहना स्वीकार किया उस ओर कोई क्या दाग ओर दोष सिध्द कर सकता है।उस अजेय पुरोधा ओर ईमानदार अफसर को सरकार तो नही पहचान पाई किन्तु जंहा भी उनको पोस्टिंग मिली वँहा की जनता का प्यार ,आश्रीवाद उन्हें व्यापक रूप से मिला है।आज उस व्यक्तित्व का आकस्मिक निधन के कारण हमसे विदा हो जाना उत्तराखण्ड के लिये क्षति है किंतु मुरादाबाद, शाहजंहापुर, गोला गोकर्ण नाथ,दिल्ली , शिरडी, गुजरात, राजस्थान आदि क्षेत्रों के जन भी दुःखित है।समाचार लिखे जाने तक उनके निवास पर उनके चाहने वालो का तांता लगा है हर कोई उस व्यक्तित्व को वन्दन, अभिन्नदन, चन्दन सहित पुष्पांजल्ली अर्पित कर शोकाकुल है।
ऐसे पुरोधा को हमारा भी शत शत नमन।ॐ शान्ति।लगता है अब सरकार जागे ओर श्री शर्मा को मरणोपरान्त न्याय प्रदान करे।