दिल्ली से लेकर उत्तराखण्ड भाजपा में बेचैनी ,जल्द फेरबदल की सम्भावनाओ की उम्मीद
1 min readऋषिकेश, वर्तमान में उत्तराखण्ड भाजपा में सब कुछ अच्छा नही दिख रहा है ।एक गलत्ती कितना भयानक रूप ले सकती है इसको भाजपा देख चुकी हैं और इसका परिणाम कैबीनेट मन्त्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल के रूप में इस्तीफा देखने को मिला है ओर इसकी गाज अभी अन्य भाजपा मंत्रियो पर पड़ती दिख रही है।प्रदेश के मुख्यमंत्री का लगातार दिल्ली दौरा क्या संकट के बादलों से भाजपा को 2027 के लिये निजात दिलाने में कामयाब हो पायेगा।भाजपा हाईकमान इस बात को आधार मानकर जनता को किसी प्रकार से नाराज नही देखना चाहता है।लेकिन जनता और अपने कार्यकर्ताओं को एक साथ साधना भाजपा के लिये बडी चुनौती का सामना किस प्रकार किया जाना है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी से जो सूचनाएं प्राप्त हो रही है उससे तो लगता है कि प्रदेश में कैबीनेट विस्तार अब शीघ्र किया जा सकता है। किसी प्रकार का पार्टी को नुकसान ना झेलना पड़े इसके लिये मुख्यमंत्री खुद दिल्ली दरबार के चक्कर लगा रहे है।मन्त्री मण्डल में नए विधायको को जिम्मेदारी मिल सकती है सभी समीकरणों की तलाश कर जिले वार समीक्षा कर फेरबदल की सम्भावनाये दिखती नजर आ रही है।सूत्रों से जानकारी ये भी मिल रही है कि कुछ मंत्रियो की मन्त्रिमण्डल से छुट्टी कर नए लोगो को जिम्मेदारी ओर पार्टी पर आये संकट को समाप्त किये जाने की बात सामने आ रही है अभी मन्त्रिमण्डल में 5 मंत्रियों को जगह मिलने की संभावना है परन्तु अगर प्रदेश में जो जनता का आक्रोश ओर सदन में जो भाजपा के लोगो ने मर्यादा को तार तार किया है साथ ही आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में फेरबदल भाजपा की छवि को बढ़ाने के लिये किया जा सकता है तो फिर 8 बिधायको को इस जिम्मेदारी से भाजपा को 2027 के लिये मजबूती प्रदान करने का इरादा लगता है। भाजपा अब किसी प्रकार का जन आक्रोश नही देखना चाहती है और अपने कुनवे को बढ़ाने के लिये कठोर निर्णय लेने में भी पीछे नही रहेगी।इसके संकेत पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, सांसद अनिल बलूनी सहित अनेक भाजपा के वरिष्ठ जन पार्टी फोरम में अपनी नाराजगी ओर कठोर कार्यवाही की बात कह चुके है किंतु पार्टी फोरम से बाहर कोई भी भाजपा का कार्यकर्ता कुछ भी कहने से बचता नजर आ रहा है।अब देखना है कि किसका भाग्य खिलता है और कौन कुर्सी से नदारद हो सकता है ये सब भविष्य की गर्त में छुपा है जो अच्छा होने पर भाजपा को अमृत सँजीवनि ओर नकारात्मक होने पर विषाक्त साबित हो सकता है।लगता तो ये भी है कि भाजपा हाईकमान कुछ नया भी कर सकता है क्योंकि पूर्व में 2 बार मुख्यमंत्रियों का फेरबदल कर नए चेहरे जिसका कोई नाम नही था उसको प्रदेश चलाने की जिम्मेदारी देने का कार्य किया है।