आखिर विकास पुरुष को विकास के नाम पर वोट क्यों नहीं पड़ते ,इसका विश्लेषण करेंगे
1 min readविकास पुरुष के नाम से प्रचलित विकास पुरुष को वोट विकास के नाम पर क्यों नहीं पड़ते इसका विश्लेषण करेंगे ?आखिर क्या खामियां हैं ?क्या कमियां हैं? यदि आपने विकास किया है तो जनता विकास के नाम पर वोट जरूर करेगी पर यदि विकास जनता का नहीं चंद् व्यक्तियों का विकास हुआ है तो जनता मत का प्रयोग अपनी मर्जी से करेगी पर यह बड़े आश्चर्य है कि यदि हमने विकास किया है; तो करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद दारू पिलाने के बाद बोट क्यों नहीं मिल पा रहे हैं? आखिर क्या कारण है? कहते हैं कि इसका कारण है कि जनता का विकास नहीं बल्कि व्यक्तियों का विकास हुआ है तो जनता यह देखती है क्या विकास हमारा हुआ है या चंद्र व्यक्तियों का और उसी आधार पर वोटों का आकलन किया जाता है वोट किसे देना है और यह जनता का अधिकार है वह अपने मताधिकार का प्रयोग सही आधार पर करें और सही आधार पर जनता अपने वोट का निर्णय करती है यदि काम के आधार पर वोट पड़ने लगे वोटों की कमी ना हो पर विकास जनता का हुआ है या व्यक्तियों का बड़ा प्रश्न?
अपने चेहतो के भरोसे विकास पुरुष चुनाव मैदान में उतरते हैं पर उनके चेहतों को जनता से कोई लेना देना नहीं है अपने विकास में लगे हैं, जब वह अपने विकास में लगे हैं तो जनता उन्हें क्यों वोट करें ?इसीलिए विकास पुरुष को वोटों के लाले पड़ जाते हैं तो वोट खरीददारी की जाती है पर कितने वोट खरीदे जा सकते हैं यह बड़ा प्रश्न है ?चंंद व्यक्तियों चंद लोगों के वोट खरीदे जा सकते हैं पर आम जनता के बट खरीदना मुश्किल है l