अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के “युवा जोश” यूथ वैलनेस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को तंबाकू व अन्य नशीले पदार्थों के उपयोग से बचने का संदेश दिया गया, साथ ही उन्हें किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने के उपाय बताए गए।
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विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर श्री हरिश्चंद्र गर्ल्स इंटर कॉलेज, ऋषिकेश में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के “युवा जोश” यूथ वेलनेस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों के उपयोग से बचने का संदेश दिया गया, साथ ही उन्हें किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहने के उपाय बताए गए।
शुक्रवार को विश्व शराब निषेध दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के अपर-आचार्य एवं सामाजिक बाहरी सेल के जिला अधिकारी डॉ. संतोष कुमार ने स्कूल केजीटू V कक्षा 11 व 12 के विद्यार्थियों को युवा वर्ग में बढ़ती नशावृत्ति को लेकर जागरूकता पैदा की। उन्होंने बताया कि कोई भी व्यक्ति नशे की तरफ तभी कदम बढ़ाता है, जब उस व्यक्ति की सोच पूरी तरह विकसित न हो या वह किसी कारण से उभरे। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति सोच और इच्छाशक्ति से मजबूत होता है, उसे अपने नफा नुकसान का पता चलता है, इसलिए वह नशे की तरफ अपना कदम नहीं बढ़ाएगा। डॉ. संतोष कुमार ने बताया कि मेडिकल स्टडीज के अनुसार व्यक्ति की सोच पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।
जीवन में वह व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता जिसके बारे में वह अपने मन में न सोच सके। बिना सोचे-समझे व्यक्ति की जिंदगी एक निर्जीव के समान है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सोच को सशक्त बनाना होगा तथा इच्छाशक्ति को जागृत करना होगा। हमें ऐसे सभी विषयों को लेकर जागरुक रहने के साथ-साथ स्वयं से प्रश्नमूलक की आदत को भी स्वयं में विकसित करना होगा।
डॉ. संतोष कुमार ने तंबाकू सेवन को शरीर के लिए बेहद हानिकारक बताया है। लेकिन वर्तमान में देखा जा रहा है कि न सिर्फ बड़ी बुजुर्ग निहायत कम उम्र के किशोर और युवा भी तंबाकू, शराब और अन्य प्रकार की नशावृत्ति के आदी होते जा रहे हैं, उन्होंने इसे इच्छा शक्ति के अभाव में पशुवत सोच बताया है। उनका कहना है कि जो व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा बन जाता है, उसकी सोच ही हमें मजबूत बनाती है और हमारी इच्छा शक्ति को विकसित करती है। इसके लिए हमारा सकारात्मक होना पहली शर्त है।
इनसेट
विशेषज्ञ चिकित्सक के अनुसार नशे की लत किशोर व युवा वर्ग में काफी आगे है, जिसमें 15 से 18 वर्ष की आयुवर्ग में सबसे अधिक नशावृत्ति की ओर बढ़ रही है। जबकि बच्चों की यही उम्र होती है जब वह स्वयं में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति के अभाव और सही मार्गदर्शन से मिलने से वह ऐसा नहीं कर सकते और जीवन बनाने की उम्र में नकारात्मक सोच के साथ जीवन को समाप्त करने की ओर बढ़ते हैं। हैं। उनका कहना है कि यदि हम आज अपनी एक आदत में सुधार करते हैं तो हमारी वही आदत हमें बहुत बड़ी सजा देगी और भविष्य में हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
उन्होंने बताया कि जब भी हमें किसी पदार्थ का सेवन करने की आवश्यकता से अधिक होने लगती है तो वह नशे का रूप ले लेता है और शरीर में उसका एक अच्छा संबंध बन जाता है, इसलिए हमारा शरीर उसी पदार्थ को बार-बार इंसान की कोशिश करता है। । यह सब मस्तिष्क के दुर्भाग्य हैं जो बार-बार इच्छा शक्ति पर हमला करता है। ऐसे में खासकर किशोर और युवा वर्ग को ऐसी चीजों से दूर रहने की जरूरत होती है जो बार-बार आपको अपनी ओर आकर्षित करती हैं और बिना मेहनत के आसानी से मिल जाती है।
युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए शुरू किए गए महत्वपूर्ण उपाय –
1- सोच
2- इच्छा-शक्ति
3- प्रश्न आधार की आदत
4- खुशी के बारे में बताया और कहा कि हमें अपनी सर्वांगीण विकास करना जरूरी है, जो आपको लंबे समय तक खुशी दे सके।
कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया
“युवा जोश” यूथ वैलेंस कार्यक्रम में आउटरीच टीम के सदस्य संदीप कुमार, सूरज राणा, सविता सेमवाल व शुभम, श्री हरिश्चंद्र गर्ल्स इंटर कॉलेज की निदेशक श्रीमती पूनम शर्मा, शिक्षक अलख नारायण दुबे, रामाश्रय सिंह, आदित्य नाथ, जयराम कुशवाह, रामकृष्ण पोखरियाल, सुभाषचंद आदि शिक्षकगण उपस्थित रहे।