माँ गङ्गा आरती शत्रुघन घाट मन्दिर ने जगत गुरु उपाधि मिलने पर स्वामी दयानन्द देवाचार्य महाराज का अभिन्नदन किया
1 min read
मुनि की रेती, नगर क्षेत्र के प्रसिद्द शत्रुघन मन्दिर ने माँ गङ्गा आरती घाट पर प्रयागराज महाकुम्भ के दिव्यमान स्वरूप प्रदान करने के लिये अखाड़ा परिषद ने श्री मद जगतगुरु श्री स्वामी योगानन्दा चार्य दयानन्द देवाचार्य का महन्त मनोज प्रपन्नाचार्य महाराज ने अभिन्नदन, वन्दन ओर चन्दन से जोरदार स्वागत सत्कार किया।इस अवसर पर माँ सुरकण्डा देवडोली सिध्द उपासक आचार्य अजय बिजल्वाण, तुलसी मठ के महन्त रवि प्रपन्नाचार्य की मौजूदगी में माँ गङ्गा आरती सहित भारतीय सनातन परम्परा के अनुसार वैदिक पूजन, हवन ओर दुग्ध अभिषेक कर माँ गङ्गा से आश्रीवाद प्राप्त किया गया।
आज गङ्गा आरती के दौरान गढ़वाल की ढोल -नगाड़े से जगतगुरु की उपाधि से विराजमान सन्त की शोभा यात्रा निकाल कर गङ्गा तट लाकर वैदिक मंत्रोचार से तिलक , अभिषेक ओर मन्त्रो का आव्हान कर हवन सहित माँ गङ्गा को दुग्धाभिषेक , चन्दन ओर पुष्पांजजली अर्पित कर प्रदेश , राष्ट्र और विश्व के कल्याण की कामना की गई।इस अवसर पर स्वामी दयानन्द देवाचार्य का नगर के गणमान्य लोगों ने पुष्पहार पहनाकर उनका भव्यता ओर दिव्यता के साथ स्वागत किया।इस अवसर पर अपने सम्बोधन में जगतगुरु ने प्रयागराज में अखाड़े परिषद से प्राप्त इस सम्मान को विशेष बताते हुई सम्पूर्ण उत्तराखण्ड का सम्मान बताया और कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि क्यों है उसका आंकलन हर व्यक्ति स्वयं महसूस कर सकता है।अपने को प्राप्त सम्मान को आमजन को समर्पित करते हुये महाराज दयानन्द ने कहा कि सनातन संस्कृति का गौरवशाली पुरातन इतिहास है किन्तु अभी इसका स्वर्णिम दौर चल रहा है।इसका ताजा उदारहण महाकुम्भ प्रयागराज है जँहा 68 करोड़ लोगों ने केवल 45 दिनों में गङ्गा में डुबकी लगाकर एक गाथा लिखी है। माँ गङ्गा पापनाशनी ओर जन जन को मोक्ष प्रदान करने वाली है।उन्होंने कहा कि बहुत कुछ कहना चाहता था किंतु माँ गङ्गा की आरती में विलम्ब उचित नही है और फिर इस आरती को देश विदेश के सैकड़ों जन देखने इर समझने को आतुर है।सभी के कल्याण एवम रक्षा की प्रार्थना गङ्गा माँ से करता हूं ओर अपना आश्रीवद आये सभी भक्तों को अर्पित करता हूं।
इस अवसर पर महन्त मनोज प्रपन्नाचार्य महाराज ने सभी आंगतुक माँ गङ्गा के भक्तों का स्वागत करते हुये गढ़वाल की ढोल पंरपरा से देश और विदेशी मेहमानों को अवगत कराया है कि हमारे ढोल गागर में सागर समाए हुये है और भौगोलिक परिस्थितियों के अनुकूलता के बाद भी हम अपने ढोल के माध्यम से सुख, दुःख और अन्य प्रकार के संदेशों को जान सकते थे। ये महान परम्परा है जिसको आज जापान सहित अन्य विदेशी राष्ट भी इसकी महत्ता का लोहा मान चुके है।इस अवसर पर ढोल की नोबत की प्रस्तुति कर गङ्गा आरती का प्रारंभ किया गया।
आज हुए इस अभिन्नदन ओर गङ्गा आरती में ऋषिकेश की पूर्व मेयर अनिता ममंगाई, के एस राणा,, इंद्रा आर्या, बीना उनियाल, सुरेन्द्र सिंह भण्डारी, महिपाल सिंह, आशा राम व्यास, रीना उनियाल,योगेश उनियाल, महाराज के शिष्य राजन बिष्ट, विजेंद्र कंडियाल, अशोक क्रेजी, मनोज मलासी, विनोद ध्यानी, सुनील कपरूवान, घनश्याम नौटियाल, जयवीर सिंह रावत सहित माँ गङ्गा सेवा समिति के समस्त सदस्य की गरिमामय उपस्थिति रही।कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ एडवोकेट एवम समिति के महासचिव रमाबल्लभ भट्ट ने किया। माँ गङ्गा आरती में देश विदेश के सैकड़ों पर्यटकों ने आरती में भाग लिया।