September 19, 2025

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भड्डू की दाल और कड़ाई का भात से सियासतदानों में खलबली

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ऋषिकेश, नगर निकाय चुनाव में पूरी मशीनरी के खेला के बाबजूद भी बहुत कम मामूली वोट से हारने के बाद मास्टर दिनेश एवं टीम के सदस्यो ने जनता से मिले समर्थन में आभार प्रकट करने के लिये अपने उत्तराखण्ड परम्परा के अनुरूप सेवा सवोंली के रूप में अपनी महान संस्कृति को विरासत के रूप में नगर की महान जनता को भड्डू की दाल और कढ़ाई का भात खिलाने का जो कार्य किया है जनता उसकी तारीफ करती दिख रही है।उन्होंने कहा कि हमने बहुत बड़ी बड़ी दावते देखी है किंतु जिस सादगी और स्वच्छता के साथ इस दाल भात को परोसा गया है वो वास्तव में अदभुत, अकल्पनीय ओर वंदनीय है।जिसमे सरोला ब्राह्मण जो सीले कपड़े नही पहनते बल्कि बिना सीले कपड़े कमर से नीचे तक पहनते है और जनेऊ, चोटी सहित पूरे सफाई का ध्यान रखकर भोजन बनाती है ओर स्वयं परोसती है।इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि पूरी पंगत को बैठाने के बाद जब वो खाना बांटना शुरू करते है फिर कोई भी व्यक्ति पंक्ति में शामिल नही होगा ना ही उनके कार्य मे व्यवधान डालने की कोशिश कर सकता है।साथ ही जब तक पंक्ति में बैठा आखिर आदमी भरपेट भोजन नही कर लेता तब तक कोई भी व्यक्ति अपनी जगह से नही उठ सकता है।बल्कि सब एक साथ खड़े उठेंगे।इसी लिए कहावत है कि दाल भात की क्या कीमत होती है और उसका क्या महत्व है उसको उत्तराखण्ड से जानने का अलग महत्व हैजिसके आगे सभी पकवान फेलियर है।पूरी प्रक्रिया स्वात्विक होती है जिसकी मिशाल अन्य व्यंजनों में नही दिखती है।
ऋषिकेश में मास्टर दिनेश टीम ने जो जनता से जुड़ने का ये बीड़ा उठाया है और जिस कदर दूर दूर से जनता ने जुड़ने का कार्य कर इस दावत का आनन्द उठाया है उससे सियासत दानों के पसीने छूटने लगे है कि हार के बाबजूद भी मास्टर लोगो को जीतने में सफल रहा है और उसका कुनवा हर दिन बढ़ता ही जा रहा है ।इससे लगता है कि ये आग वर्ष 27 में पूरे उत्तराखण्ड में बदलाव के संकेत तो नही है।इससे इन्कार तो नही कहा जा सकता है।लेकिन इतना तो लगने लगा है कि मास्टर स्टोक अपने फ्रंट फुट पर जिस तेजी के साथ छक्के चौके जड़ रहा है इससे भाजपा, काँग्रेस जनो में बेचैनी साफ झलक रही है।मास्टर जनता के दिलो में जरूर राज कर रहे है इतना जरूर है कि वो मेयर पद पर नही जीत पाए है क्योंकि पूरा शासन ओर प्रशासन पर धांधली का आरोप ओर धीमी गति से मतदान का शिकार मास्टर दिनेश को बनना पड़ा।

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