भाजपा में अंतर्कलह मुसीबत बन सकता है, नही रुक रही गलत बयानबाजी
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मुनि की रेती, नगर निकाय चुनाव में जिस दम खम के साथ चुनाव में उतरी भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री, मन्त्री, लोकसभा सांसद और पूरी कार्यकर्ताओं को इस चुनाव में जीत दर्ज कराने को मैदान में उतार दिये परन्तु उसके बाद भाजपा को प्राप्त जनमत कई सवाल खड़े कर रहा है कि आखिर कौन से कारण है कि भाजपा के गढ़ में एकतरफा मत निर्दलीय उम्मीदवार को प्राप्त हो गये और भाजपा को 6051 मतों से हार का मुँह देखना पड़ा है
इस चुनाव में भाजपा की चुनावी गणित जनता की नब्ज नही पहचान पायी ओर उनके बेतुके बोल जो जनता ने सिरे से नकार दिये किन्तु फिर भी इनके बोल कम नही हुये ओर हद तो तब हो गयी जब प्रत्याशी ही आग में घी की आहुति डालने का प्रयास करता देखा गया जो शोशियल मीडिया में तेज़ी से वायरल हो रहा है। स्थानीय जनता को ये नागवार गुजरा और जो समर्थन में रहे वो भी किनारा करते देखे गए।ये जनता ने बता दिया कि बिगड़ैल बोल बोलकर चुनाव नही जीते जा सकते है, दिल जीतिए।
चुनाव में जीत हार का खेल चलता रहता है परन्तु आपसी सम्बन्ध सदैव बने रहने चाहिये जिसका प्रयास आमजन सहित सियासत करने वालो को बखूबी करना है।चुनाव में मिली हार की समीक्षा भाजपा का आंतरिक मामला है और चर्चा परिचर्चा सहित भविष्य की रणनीति तय कर आगे बढ़ने का प्रयास एकजुटता के साथ होना चाहिए किन्तु देखा जा रहा है कि इस चुनाव में मिली हार को पचाने के कार्य ना करते हुये अपनी पार्टी के लोगों, रिश्तेदारो को जयचंद, विभीषण ओर ना जाने किन किन शब्दो से नवाजा जा रहा है।अपने 25 साल का कार्य तुमने सार्वजनिक किया जो बेमिसाल साबित नही हुआ है।चुनाव में कई गयी गलत बयानबाजी और तुम्हारे होनहार वो जो शोशियल मीडिया में गलत पोस्ट साझा करते रहे।वही कमोवेश स्तिथि अब भी जारी है जिससे भाजपा में लगातार आंतरिक कलह बाहर आ सकता है जिसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नुकसान भाजपा को होना है।इस सम्बंध में भाजपा के पूर्व सभासद बिल्लू चौहान खिन्न दिखाई दिये और पार्टी के समस्त दायित्व सहित सदस्यता से रिजाइन देने को घोषणा कर चुके है।इस चुनाव में मिली हार का जबाब मण्डल अध्यक्ष, चुनाव सयोंजक सहित अन्य भाजपा के वरिष्ठ जनो को आज नही तो कल पार्टी फोरम में देना पड़ेगा क्योंकि ये चुनाव जिसमे मुख्यमंत्री सहित तमाम भाजपा दिग्गज मैदान में उतर कर आखिरी क्षण तक जीत के दावे करते दिखाई दिये ।वँहा अब भाजपा का कुनवा कैसे मजबूत हो इस पर ध्यान रखने की कोशिश जारी रखकर कार्यकर्ताओ का मनोबल बढ़ाने की रणनीति में विचार किया जाना आवश्यक है।साथ ही किसी भी प्रकार की बयानबाजी जो पार्टी को नुकसान पहुंचाने का कार्य करे उस पर विराम लगना जरूरी है।